380 दिनों तक चला ऐतिहासिक आंदोलन अब समाप्त, टेंट उखाड़कर घर जाने लगे किसान


बीते करीब एक साल से यही टेंट इन किसानों का घर थे…


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उनकी बात Updated On :

नई दिल्ली। किसानों का आंदोलन फिलहाल खत्म हो चुका है। यह ऐतिहासिक आंदोलन 380 दिनों तक चला। सिंधु बॉर्डर से किसानों का अपने घरों की ओर जाना शुरु हो चुका है। किसान अपने टेंट उखाड़ने लगे हैं। बीते करीब एक साल से यही टेंट इन किसानों का घर थे।

इसके कुछ महीनों बाद दोनों दोस्तों गुरिंदर और बूटा ने 2,400 वर्ग फुट के क्षेत्र में एक अस्थायी ढांचा बनाया, जिसमें तीन कमरे, एक शौचालय और सभा करने के लिए एक क्षेत्र था। उन्होंने इसे बनाने के लिए बांस और छत के लिए टीन का इस्तेमाल किया.सभा क्षेत्र और तीन कमरों में हर रात करीब 70 से 80 लोग सोया करते थे।

इसके बाद उन्होंने टेलीविजन, कूलर, गैस स्टोव, एक छोटे फ्रिज आदि की भी व्यवस्था की, ताकि वे अपना मकसद पूरा होने तक यहां आसाम से ठहर सकें। गुरिंदर ने कहा, ‘‘इस ढांचे को बनाने में करीब चार लाख 50 हजार रुपए खर्च हुए.हमारे पास जरूरत की हर वस्तु थी। अब हमारी इसे हमारे गांव ले जाकर वहां स्थापित करने की योजना है।”

बूटा ने कहा, ‘‘हम इसमें अपनी कुछ तस्वीरें भी लगाएंगे, ताकि हमें यहां बिताया समय याद रहे।”’ प्रदर्शन स्थल पर 10-बिस्तर वाले ”किसान मजदूर एकता अस्पताल” का प्रबंधन करने वाले बख्शीश सिंह को मकसद पूरा होने की खुशी के साथ ही अपने साथियों से जुदा होने का दु:ख भी है।

पटियाला निवासी बख्शीश ने कहा कि ‘लाइव केयर फाउंडेशन’ द्वारा संचालित यह अस्थायी अस्पताल पहले मधुमेह एवं रक्तचाप नियंत्रित करने की दवाओं के साथ शुरू हुआ था, लेकिन किसानों की बड़ी संख्या के मद्देनजर इसकी क्षमता बढ़ाई गई।

चिकित्सकों ने बताया कि इस अस्पताल में पिछले एक साल में एक लाख लोग ओपीडी में आए और इनमें स्थानीय निवासियों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक थी। इस अस्पताल में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, मियादी बुखार आदि की नि:शुल्क जांच की जाती थी. ‘लाइफ केयर फाउंडेशन’ अब इस अस्पताल को जालंधर के पास किसी स्थान पर स्थानांतरित करने की योजना बना रहा है ताकि वहां जरूरतमंदों को मुफ्त चिकित्सा प्रदान की जा सके।

मोहाली के जरनैल सिंह ने कहा कि उन्होंने 12 गांवों के करीब 500 लोगों के लिए बांस और तिरपाल से दो अस्थायी ढांचे बनाए थे, जिन्हें बनाने में चार लाख रुपए लगे थे.जरनैल और अन्य लोगों की योजना अब इसे प्रतीक के रूप में बूटा सिंह वाला गांव में स्थापित करने की है।

भारतीय किसान यूनियन (BKU) के सरदार गुरमुख सिंह ने मार्च में ईंटों और सीमेंट से तीन कमरों का एक ढांचा बनाया था.कम से कम पांच लोग शुक्रवार सुबह से ही इसे तोड़ने का काम लगातार कर रहे हैं।

सरदार गुरमुख सिंह ने कहा, ‘‘मैंने इस पर लगभग चार लाख रुपये खर्च किए.हम लगभग 20,000 ईंटों को बचा सकते हैं, जिनका इस्तेमाल यहां मारे गए लोगों का स्मारक बनाने के लिए किया जाएगा।”

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ पुलिस में दर्ज मामले वापस लिये जाने और ‘एमएसपी’ सहित किसानों की मुख्य लंबित मांगों को स्वीकार करने का एक ‘‘औपचारिक पत्र” केंद्र सरकार से प्राप्त होने के बाद एक साल से चला आ रहा अपना आंदोलन स्थगित करने की बृहस्पतिवार को घोषणा की।

आंदोलन स्थगित करते हुए 40 किसान यूनियन का नेतृत्व कर रहे एसकेएम ने कहा कि किसान 11 दिसंबर को ‘‘विजय दिवस” के रूप में मनाएंगे, जिसके बाद वे अपने घर लौटेंगे।

 (यह ख़बर एनडीटीवी से ली गई है)



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