मुख्यमंत्री शिवराज की बुधनी विधानसभा में होना था बेरोजगारों का आंदोलन, पुलिस ने युवाओं को रास्ते में ही रोका


आने वाले चुनावों में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है, युवाओं ने किया सवाल – क्या विरोध का अधिकार भी अब उनके पास नहीं?


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उनकी बात Published On :

भोपाल। मध्यप्रदेश में बेरोजगारी अब एक बड़ा मुद्दा है जिससे सरकार को डर लग रहा है। यह स्पष्ट होता है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा बुधनी में हुई घटना से जहां रोजगार के मुद्दे पर हो रहा एक कार्यक्रम पूरी तरह रोक दिया गया।

यही नहीं इंदौर में भर्ती सत्याग्रह करने वाली युवाओं की टीम को भी रास्ते में ही हिरासत में लिया गया। इस दौरान इन युवाओं की पुलिस से हल्की-फुल्की बहस भी हुई। पुलिस ने युवाओं को करीब नौ बजे रात तक बैठाए रखा और कार्यक्रम नहीं हो सका।

बुधनी में रविवार को एक सभा होनी थी। यह सभा बुधनी के स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और युवाओं ने बुलाई थी। जिसमें काफी संख्या में विपक्षी पार्टियों के लोगों को भी बुलाया गया था। सभा का मुख्य मुद्दा बेरोजगारी था।

इस सभा को संबोधित करने के लिए इंदौर से एनईवाययू संगठन के सदस्य राधे जाट, रंजीत किसानवंशी, गोविंद रोहेला, अरविंद सिंह राजपूत और रोहित यादव गए हुए थे। यह वही संगठन संगठन है जिन्होंने इंदौर में भर्ती सत्याग्रह शुरु किया था और फिर महीने भर तक जारी रखकर इंदौर से भोपाल तक का पैदल मार्च निकाला।

बुधनी में होने वाले आयोजन को पुलिस और प्रशासन ने रद्द करवा दिया। नररुल्लागंज पुलिस द्वारा बताया गया है कि इस मामले में आयोजन की अनुमति ही नहीं थी ऐसे में आयोजन रद्द करना पड़ा।

हालांकि आयोजन में पहुंचे राधे जाट बताते हैं कि उन्हें और साथियों को बुधनी पहुंचने से पहले ही पुलिस ने हिरास में ले लिया। इस दौरान पुलिस ने रास्ते में ही वाहन चेकिंग शुरु कर दी और प्रदर्शन में जा रहे लोगों को रोकना शुरु कर दिया। इस दौरान इंदौर से जा रहे संगठन से जुड़े युवाओं को हिरासत में ले लिया गया। इन्हें नसरुल्लागंज थाना क्षेत्र में हिरासत में लिया गया और इछावर थाने में रखा गया। इस दौरान आसपास की पुलिस भी मौजूद थी।

भर्ती सत्याग्रह से जुड़े युवाओं को थाने में रखा गया

जिन पुलिसकर्मियों ने इन युवाओं को रोका उन्होंने अपने नाम के बैज नहीं पहने हुए थे। NEYU संगठन ने इस घटना का एक वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे पुलिसकर्मियों में से कई ने वर्दी पर नाम के बैज नहीं पहने हुए थे।

हिरासत में लिए गए राधे जाट ने बताया कि उन्हें इछावर थाने में रात करीब नौ बजे तक बैठाया गया। जाट के कार्यक्रम के आयोजकों को पुलिस और प्रशासन ने पहले ही धमकाना शुरु कर दिया था और इनमें से कुछ को हिरासत में भी लिया गया वे कहते हैं कि ऐसी स्थिति में कार्यक्रम रद्द ही होना था।

पुलिस वाहन में युवा

आयोजन में किसान, युवा बेरोजगार सहित सामाजिक संगठनों के लोग भी पहुंच रहे थे। इनमें जयस और भीम आर्मी के सदस्य शामिल होने वाले थे।

पुलिस और प्रशासन के इस रवैये को इसे लेकर अब इन संगठनों में नाराज़गी है और कहा जा रहा है कि अब फिर बड़े प्रदर्शन की योजना बनाई जा रही है। हालांकि युवाओं की शिकायत रही है कि मप्र में सरकार के विरोध में प्रदर्शन के लिए भी प्रशासन की ओर से अनुमति नहीं दी जाती है ऐसे में सरकार से तीख़ी नाराजगी के बाद भी ज्यादातर प्रदर्शन हो ही नहीं पाते हैं।

इंदौर में भर्ती सत्याग्रह सितंबर के महीने में शुरु हुआ और इसके बाद अब तक राजनीति की बोझिल बातों में दबा प्रदेश में बेरोजगारी और सरकारी नौकरी पर लगी अनौपचारिक रोक का मुद्दा बाहर निकल आया। इस आंदोलन ने लोगों तक मध्यप्रदेश में बेरोजगारी की असलियत पहुंचाई। इसके बाद लगातार बेरोजगारी का मुद्दा गर्म है।

सोशल मीडिया पर इस विषय को लेकर लगातार लोग सक्रिय रहते हैं‌। वहीं दूसरे कर्मचारी भी अपनी मांगों को लेकर आगे आने लगे हैं। संविदा कर्मचारी इनमें सबसे आगे हैं जो मुख्यमंत्री को उनका वादा याद दिला रहे हैं जब उन्होंने संविदा को खत्म करने के लिए कहा था।

 



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