चने-मटर की फसल में बढ़ा इल्ली का प्रकोप, दवाई भी नहीं कर रही असर


जानकारों के अनुसार जरूरत से ज्यादा कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है, जिससे अब इल्ली पर दवाओं का असर नहीं होता है। यूरिया सहित अन्य खादों का अधिक उपयोग भी इल्ली को बढ़ा रहा है।


आशीष यादव आशीष यादव
उनकी बात Published On :
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अनारद। खरीफ सीजन की फसल प्राकृतिक आपदाओं के कारण पहले ही खराब हो चुकी है और रबी सीजन की फसल पर भी कीटों का प्रकोप बढ़ने लगा है। मौसम साफ न होने के कारण किसान अभी दवाओं का छिड़काव भी नहीं कर पा रहे हैं।

यदि दवाओं का छिड़काव नहीं किया गया तो इल्ली फसल चट कर जाएंगी। इस वर्ष मटर व अब चना की फसल पर भी इल्ली का प्रकोप बढ़ गया है।

अभी स्थिति यह है कि लगभग हर पौधे पर इल्ली है जबकि पहले जिन किसानों ने बोवनी कर दी थी उस फसल पर फूल आने लगा है। किसान बता रहे हैं कि पिछले दिनों पड़ी गर्मी के कारण फसलों में कीटों का प्रकोप बढ़ा है और अब आसमान पर बादल छाए हैं।

साथ ही दिनभर मौसम ठंडा होने व सुबह कोहरे से परेशानी होती है जिससे दवाओं का छिड़काव भी नहीं कर पा रहे हैं। मौसम साफ होने के बाद दवाओं का छिड़काव करेंगे। मौसम में ठंड बढऩे से कीटों का प्रकोप थोड़ा कम होगा।

हरी, काली इल्ली कर रही फसल चट –

इस वर्ष चने की फसल पर काली, हरी इल्ली का प्रकोप ज्यादा है। खेतों में लगभग हर पौधे पर इल्ली है। जानकारों के अनुसार जरूरत से ज्यादा कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है, जिससे अब इल्ली पर दवाओं का असर नहीं होता है। यूरिया सहित अन्य खादों का अधिक उपयोग भी इल्ली को बढ़ा रहा है।

बाजार में सज गईं कीटनाशक की दुकानें –

इल्ली सहित अन्य कीटों का प्रकोप कम करने के नाम पर बाजार में कीटनाशक दवाओं की दुकानें सज गई हैं और किसानों को गुमराह कर महंगे दामों पर दवाएं बेची जा रही हैं।

सलाह लेकर करें दवाओं का छिड़काव –

विशेषज्ञों के मुताबिक, मटर-चना की फसल में इल्ली का प्रकोप बढ़ा है और किसान मौसम साफ होने के बाद दवाओं का छिड़काव शुरू करें। दवा डालने के पहले कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर दवा और उसके छिड़काव की जानकारी अवश्य लें। साथ ही जैविक दवाओं का उपयोग ज्यादा करें।

देखने में आया है कि दो-तीन साल से फसलों में इल्लियों का प्रकोप ज्यादा ही दिखने लगा है जिसके कारण किसान काफी परेशान हो रहे हैं। महंगी-महंगी दवाइयां छिड़कने के बाद भी इल्लियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है। किसान लगातार आठ-आठ दिन में दवाइयों का स्प्रे कर रहे हैं।

अब तो गेहूं में इल्लियों का प्रकोप –

पहले गेहूं की फसल कम बजट व कम मेहनत वाली थी क्योंकि इसमे यूरिया पानी के अलावा कोई ज्यादा खर्च नहीं होता था मगर अब गेहूं में भी इल्लियां आने लगी हैं जिससे गेहूं की फसल भी महंगी होती जा रही है।

वैसे आमतौर से गेहूं की फसल में इल्ली का प्रकोप नहीं होता है, लेकिन मौसम में आए परिवर्तन की वजह से इल्ली लग सकती है। किसानों को गेहूं की फसल में इमामेक्टीन वेंजूएट कीटनाशक दवा का छिड़काव करने का सुझाव विशेषज्ञ देते हैं।

एक एकड़ फसल के लिए 100 एमएल दवा को 200 लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार कर फसल में डालना चाहिए। प्रोफीनोफास दवा का भी छिड़काव किया जा सकता है जिससे इल्ली मर सकती हैं।

इल्लियों से बढ़ी परेशानी –

इस बार मटर-चने के खेतों में इल्लियों का प्रकोप होने से किसानों की चिंता गहरा गई है। सुबह खेतों में पहुंच रहे किसानों को खेतों में कीटों का प्रकोप दिख रहा है। किसानों ने मटर व चने की फसल कम लगाई गई क्योंकि चने की फसलों में बीमारी ज्यादा आने लग गए इसलिए हम किसान इसे कम ही लगाने लगे। – दीपेंद्र सिंह डोडिया, किसान

चने का उत्पादन आधे से भी कम होने की आशंका –

दो दिन पूर्व रात में हुई ठंड से फसलों के फूल झड़ गए। वहीं मौसम की मार के चलते इल्लियों का प्रकोप होने से अब उत्पादन आधे से भी कम होने की आशंका गहरा गई है। इससे किसानों को नुकसान होगा। आने वाले दिनो मे देखते है कि लागत भी निकलेगी या नहीं। – जितेंद्र सिंह पटेल, अनारद, किसान



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