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  7. प्रभाव और लोकप्रियता का व्यवस्थाओं पर इस्तेमाल! कथा व्यास अनिरुद्धाचार्य उर्फ अनिल तिवारी बने सेंट्रल जेल के अधीक्षक

प्रभाव और लोकप्रियता का व्यवस्थाओं पर इस्तेमाल! कथा व्यास अनिरुद्धाचार्य उर्फ अनिल तिवारी बने सेंट्रल जेल के अधीक्षक


जेल अधीक्षक अनिरुद्धार्य को अपना गुरु मानते हैं इसीलिए कुर्सी पर बैठा लिया।


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भोपाल Updated On : Wed 12th April 2023, 01:00 PM
भोपाल में जेल अधीक्षक की कुर्सी पर बैठे कथा व्यास अनिरुद्धाचार्य


भोपाल।  प्रदेश के मंत्रियों और सत्ता पक्ष के नेताओं के साथ अक्सर नज़र आने वाले कथा व्यास अनिल कुमार तिवारी उर्फ़ अनुरुद्धाचार्य अब सरकारी कार्यालय के अधिकारियों की कुर्सी पर भी बैठे नज़र आने लगे हैं। उनकी एक ऐसी ही तस्वीर वायरल हो रही है जहां वे भोपाल की सेंट्रल जेल के अधीक्षक की कुर्सी पर बैठे हुए हैं। वे यहां पिछले दिनों कैदियों को कथा सुनाने गए हुए थे। जहां उन्होंने यह तस्वीर खिंचवाई जो बाद में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी गई। जेल प्रमुख की कुर्सी पर बैठने के लिए न तो उन्हें जेलर ने रोका और न ही इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर डाले जाने पर किसी तरह की सफाई आई। ऐसे में समझा जा सकता है कि धर्म के नाम पर किस तरह नेताओं और अधिकारियों से संबंध बनाकर व्यवस्था का मज़ाक बनाया जा रहा है।

बुधवार सुबह से ही कथा व्यास अनिरुद्धाचार्य चर्चाओं में हैं। मथुरा में उनसे एक करोड़ रुपये की फिरौती मांगने और न देने पर उन्हें बम से उड़ाने की धमकी देने वाला एक युवक गिरफ्तार कर लिया गया गया है। आरोपी की पहचान वल्लभगढ़, हरियाणा निवासी सुरेश कुमार के तौर पर हुई है। जो अपने बच्चों के इलाज में कर्ज़दार हो गया था और जिसने अपनी गरीबी दूर करने के लिए अनुरुद्धाचार्य से फिरौती मांगी और न देने पर बम से उड़ाने की धमकी दी। युवक ने अपने नाम का फायदा उठाया और अनिरुद्धाचार्य के आश्रम में रहा।

वहीं अनुरुद्धाचार्य को भी अपनी बढ़ती लोकप्रियता और संबंधों का लाभ मिला। उन्होंने भी अपने संबंधों का फायदा उठाया और अधीक्षक की कुर्सी पर बैठ गए। जेल  के नाम से लोगों के मन में डर भर जाता है वहां संबंधों के ही बल पर अनिरुद्धाचार्य बिना किसी अधिकार के उस कुर्सी पर जाकर बैठ गए जहां से जेल की व्यवस्थाएं संचालित होती हैं। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि अनिरुद्धाचार्य या उनके जैसे दूसरे लोग जो अधिकारी से इतने करीबी संबंध या उस पर प्रभाव रखते हैं किस तरह व्यवस्थाओं को प्रभावित कर सकते हैं।

इस जेल के अधीक्षक राकेश भांगरे हैं जो अनिरुद्धाचार्य को अपना गुरु मानते हैं। उन्होंने अपने जेल में बंद कैदियों के लिए कथा सुनाने के लिए अनिरुद्धाचार्य को न्यौता दिया और  आठ अप्रैल को यही करने के लिए उनके गुरु जेल पहुंचे थे। कैदियों को कथा सुनाने के बाद जेलर साहब ने अपने गुरु से अपनी कुर्सी पर बैठने का आग्रह किया। जिस पर अनिरुद्धाचार्य उस कुर्सी पर भी बैठ गए और अपनी लोकप्रियता और प्रभाव को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने या उनके चाहने वालों ने उस कुर्सी पर बैठकर ली गईं तस्वीरें वायरल भी कर दीं।

 

 


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