
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘आधार कार्ड’ को लेकर धार जिले में हालात बदहाल हैं। जिले में लगभग 90 आधार सेंटर संचालित बताए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति इससे बिलकुल उलट है। कई सेंटर या तो बंद पड़े हैं या फिर वहां घंटों लाइन में खड़े होने के बावजूद आवेदकों का काम नहीं हो पा रहा है। हालात ये हैं कि लोगों को एक सेंटर से दूसरे सेंटर भेजा जा रहा है और वे अपने जरूरी दस्तावेज बनवाने के लिए दर‑बदर भटकने को मजबूर हैं।
ग्रामीण अंचलों से आने वाले लोग तड़के शहर पहुंचते हैं ताकि समय पर नंबर लग जाए, लेकिन ज्यादातर मामलों में उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है। स्कूलों में प्रवेश, छात्रवृत्ति, बैंकिंग सेवाएं और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने जैसे जरूरी कार्य आधार से जुड़े होने के कारण अभिभावकों की चिंता और बढ़ गई है। कई माता-पिता अपने बच्चों के आधार कार्ड बनवाने के लिए हर दिन दौड़ लगा रहे हैं, लेकिन बदले में उन्हें मिलता है सिर्फ इंतजार और निराशा।
जिले में करीब 25 लाख की आबादी के अनुपात में महज 90 आधार केंद्र हैं। इनमें से भी कई बंद पड़े हैं या आंशिक रूप से संचालित हो रहे हैं। जिला मुख्यालय स्थित लोक सेवा केंद्र में तो कई दिनों से आधार सेवाएं पूरी तरह बंद हैं, जिससे रोजाना सैकड़ों लोग बिना काम कराए लौटने को मजबूर हैं।
कई आवेदकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कहीं 150 रुपए तक की वसूली की जा रही है जबकि यूआईडीएआई के नियमानुसार नाम, पते या मोबाइल नंबर अपडेट के लिए सिर्फ 50 से 100 रुपए तक ही लिए जाने चाहिए। कई बैंकों और सेंटरों पर न सिर्फ ज्यादा पैसे लिए जा रहे हैं, बल्कि लोगों से अभद्र व्यवहार की भी शिकायतें मिली हैं।
जनजाति विभाग ने बीते वर्षों में आधार मशीनें खरीदी थीं और करीब 30 सेंटर चालू किए थे, लेकिन वर्तमान में ये सभी सेंटर बंद हैं। मशीनें धूल खा रही हैं और स्कूली बच्चे आधार न बन पाने के कारण प्रवेश और योजनाओं से वंचित हो रहे हैं।
विभिन्न सेंटरों की वास्तविक स्थिति देखें तो बैंक शाखाओं पर 16, पोस्ट ऑफिस में 10, बीएसएनएल में 3, एमपीएसईडीसी के अंतर्गत 54 और लोक सेवा केंद्रों में लगभग 20 सेंटर संचालित बताए गए हैं। बावजूद इसके, भारी भीड़ और खराब व्यवस्था के चलते हर दिन सैकड़ों आवेदकों को घंटों लाइन में लगने के बाद भी बिना काम कराए लौटना पड़ रहा है।
इस अव्यवस्था पर जब जिला पंचायत सीईओ अभिषेक चौधरी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जनजाति विभाग और महिला बाल विकास विभाग की मशीनों को ठीक कराकर दो सप्ताह में 30 सेंटरों को पुनः चालू किया जाएगा।
लेकिन तब तक आमजन को हर दिन बारिश, गर्मी और अफरा-तफरी के बीच कतारों में खड़े रहकर आधार के लिए संघर्ष करना होगा। सवाल ये है कि जब सरकार ने आधार को हर कार्य के लिए अनिवार्य कर दिया है तो फिर इसकी व्यवस्था दुरुस्त क्यों नहीं की गई।