बेमौसम बारिश ने बिगाड़ा रोटेशन, किसानों की तैयारियों पर पड़ा असर – इस बार जल्दी पहुंच सकता है मानसून


धार में बेमौसम बारिश से किसानों की चिंता बढ़ी। इस बार मानसून जल्द पहुंच सकता है। जानें मौसम पूर्वानुमान और कृषि विभाग की चेतावनी।


आशीष यादव
धार Published On :

मई के महीने में जहां आमतौर पर भीषण गर्मी का आलम रहता है, वहीं इस बार धार जिले समेत पूरे मध्यप्रदेश में मौसम ने एकदम अलग करवट ली है। बीते दो सप्ताह से रुक-रुक कर हो रही बारिश, तेज हवाएं और आंधी-तूफानों ने मौसम का मिजाज ही बदल दिया है। इस बार मानसून से पहले की सक्रियता ने न सिर्फ तापमान को नीचे गिराया है, बल्कि किसानों की बुआई योजना को भी उलझन में डाल दिया है।

प्री-मानसून की इस समय पूर्व सक्रियता ने खेतों में नमी तो पहुंचाई है, लेकिन कृषि विशेषज्ञ इसे खतरे की घंटी मान रहे हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार इस बार मानसून के केरल में 27-28 मई के बीच पहुंचने की संभावना है। इसके बाद मध्यप्रदेश में मानसून 10 से 15 जून के बीच दस्तक दे सकता है। बीते वर्ष 18 जून को मानसून प्रदेश में पहुंचा था।

 

किसानों को नहीं करनी चाहिए जल्दबाजी

जिला कृषि विभाग के उप संचालक ज्ञानसिंह मोहनिया के अनुसार, “अभी जो बारिश हो रही है, वह मानसूनी नहीं बल्कि चक्रवात से जुड़ी प्री-मानसून की गतिविधि है। किसानों को अभी बुआई करने से बचना चाहिए। खेतों को पूरी तरह तैयार करें और बीज की अंकुरण क्षमता की जांच करें।”

 

खरीफ फसलों की बुआई का सीजन शुरू होने ही वाला है और धार जिले में लगभग 5.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हर साल खरीफ फसलें बोई जाती हैं। इसमें सबसे ज्यादा क्षेत्रफल – 2.25 लाख हेक्टेयर – सोयाबीन के लिए आरक्षित होता है। इसके अलावा मक्का, कपास, ज्वार, मूंग और तुअर जैसी फसलें भी बोई जाती हैं। कृषि विभाग सलाह दे रहा है कि पहले लेट पकने वाली किस्मों की बुआई की जाए और फिर जल्दी पकने वाली वैरायटी पर ध्यान दिया जाए।

 

जलवायु में बदलाव का असर

धार जिले में पिछले एक दशक में वर्षा के आंकड़ों में काफी उतार-चढ़ाव रहा है। वर्ष 2013, 2019 और 2024 में जिले में औसत वर्षा 1000 मिमी से अधिक रही है, जबकि अन्य वर्षों में यह गिरकर 650-850 मिमी तक रह गई। इस साल अप्रैल-मई में ही तापमान 45 डिग्री के पार गया, लेकिन उसी शाम आंधी और बारिश ने उसे फिर से सामान्य कर दिया।

 

IMD के अनुसार मई में लू चलने के 6 से 8 दिन होते हैं, लेकिन इस बार प्री-मानसून की लगातार सक्रियता के चलते पूरे उत्तर भारत में लू का असर नगण्य रहा। बंगाल की खाड़ी में उठा चक्रवात और पश्चिमी विक्षोभ की वजह से मध्यप्रदेश में अगले कुछ दिनों तक और बारिश हो सकती है।

 

बीज-खाद की व्यवस्था

इस साल कृषि विभाग और सोसायटियों ने अग्रिम तैयारी के तहत खाद और बीज की आपूर्ति पहले से सुनिश्चित कर दी है। किसानों से कहा गया है कि वे समय रहते आवश्यक सामग्री घर पर रख लें, ताकि मानसून के आगमन पर जल्द बुआई की जा सके।


Related





Exit mobile version