
नर्मदा के जल से मालवा अंचल को सिंचित करने के लिए तैयार की गई धार माइक्रो सिंचाई परियोजना एक बार फिर सुर्खियों में है। अब यह बात सामने आई है कि परियोजना के तहत 30 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड का उपयोग प्रस्तावित है। इस संबंध में एनवीडीए (नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण) द्वारा पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति के लिए आवेदन कर दिया गया है। यदि सब कुछ योजना अनुसार चला, तो दिसंबर 2024 तक अनुमति मिलने की संभावना है और इसके पश्चात ज़मीन पर कार्य प्रारंभ होगा।
भूमिपूजन के बाद भी अधर में लटका प्रोजेक्ट
30 अप्रैल 2024 को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उमबरन गांव में इस परियोजना का भूमिपूजन किया था। उम्मीद थी कि इसके बाद काम तेज़ी से शुरू हो जाएगा। लेकिन ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। सबसे बड़ी अड़चन उन खेतों से पाइप लाइन गुजारने में है, जो निजी या सरकारी स्वामित्व में हैं। साथ ही, फॉरेस्ट लैंड पर काम करने के लिए जरूरी क्लियरेंस की भी प्रतीक्षा की जा रही है।
कहाँ से कहाँ जाएगी पाइप लाइन?
धार माइक्रो सिंचाई परियोजना के तहत अंडरग्राउंड पाइप लाइन बिछाई जानी है, जो न केवल निजी खेतों बल्कि सरकारी और वन विभाग की ज़मीनों से होकर गुज़रेगी। धरमपुरी के पिपल्दागढ़ी में संपवेल के लिए तीन हेक्टेयर सरकारी ज़मीन चिन्हित की गई है। एनवीडीए के कार्यपालन यंत्री आलोक चौबे के अनुसार, “परियोजना के तहत सेटअप तैयार हो चुका है, लेकिन ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। हमने 30 हेक्टेयर वन भूमि के लिए पर्यावरणीय अनुमति मांगी है, अनुमति मिलने के बाद ही कार्य शुरू हो सकेगा।”
किसानों को कितना मिलेगा लाभ?
परियोजना से धार, मनावर, पीथमपुर, गंधवानी और सरदारपुर तहसीलों के 183 गांवों के किसानों को फायदा होगा। दावा है कि कुल 55 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। इनमें सबसे अधिक लाभ धार तहसील को मिलेगा, जहां 96 गांवों में 31,521 हेक्टेयर भूमि को पानी मिलेगा।
क्या धार शहर फिर से प्यासा रहेगा?
यह परियोजना पूरी तरह सिंचाई पर केंद्रित है। हालांकि धार शहर बीते दो दशकों से पेयजल संकट से जूझ रहा है, फिर भी इस योजना में शहर को पेयजल आपूर्ति का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। ऐसे में एक बार फिर धार के बाशिंदों को नर्मदा के पानी के लिए तरसते रहना पड़ सकता है।
लागत और समयसीमा
परियोजना की अनुमानित लागत 1869.72 करोड़ रुपये है। अभी तक केवल 100 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हुआ है। इसके अलावा, 1421.19 करोड़ रुपये के टेंडर स्वीकृत किए जा चुके हैं। 33.5 किमी लंबी मुख्य पाइपलाइन और 103 मेगावाट बिजली की आवश्यकता बताई गई है। लक्ष्य है कि यह योजना दो साल में पूरी कर ली जाए।