संस्था की ज़मीन पर अवैध बिक्री का आरोप, रजिस्ट्री कराने वालों ने बताया सौदा जायज़


धार ज़िले में स्पिरिचुअल रीजेनरेशन मूवमेंट फाउंडेशन की ज़मीन पर अवैध बिक्री का आरोप लगा है। संस्था ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपा, जबकि खरीदार चार साल पुराने एग्रीमेंट और चेक भुगतान के दस्तावेज़ दिखा रहे हैं। मामला अब कोर्ट और पुलिस जांच में है।


आशीष यादव
धार Published On :

ज़िला मुख्यालय के नजदीक पटवारी हल्का नंबर 13/65 नया हल्का 00285 की भूमि को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। स्पिरिचुअल रीजेनरेशन मूवमेंट फाउंडेशन ऑफ इंडिया नामक पंजीकृत संस्था है जिसको लेकर अलग अलग अपना अपना दावा कर रहे है। 26 मई कों उक्त भूमि का सौदा धार के व्यवसाई विजय बहादुर सिंह और मुकेश शिवहरे ने किया। आज पत्र परिषद में एक तथाकथित व्यक्ति जो अपने आप कों संस्था का प्रतिनिधि बता रहा उसने

ने आरोप लगाया है कि संस्था की स्वामित्व वाली भूमि पर कुछ व्यक्तियों द्वारा अवैध रूप से कब्ज़ा कर विक्रय किया जा रहा है। संस्था ने इस संबंध में संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि उक्त भूमि के पुराने दस्तावेज़ों के आधार पर जांच कर अवैध गतिविधियों पर रोक लगाई जाए। संस्था का दावा है कि यह भूमि वर्षों पूर्व से उनके आधिपत्य में है और इस पर वैदिक शिक्षा, ध्यान एवं अन्य आध्यात्मिक कार्य संचालित किए जाते रहे हैं। संस्था ने आरोप लगाया है कि कुछ बाहरी तत्वों द्वारा संस्था की भूमि पर स्वार्थवश निर्माण एवं विक्रय गतिविधियाँ की जा रही हैं, जिससे संस्थागत कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है। संस्था द्वारा पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर उचित कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है।

 

4 साल पहले हुआ एग्रीमंट

जबकि हकीकत यह है की उक्त भूमि का सौदा विजय बहादुर सिंह से 4 वर्ष पूर्व हुआ तब एग्रीमेंट के समय 35 लाख का भुगतान भी हो चूका जिसके बाद संस्था की आपसी खींचातान कों लेकर मामला न्यायलय पहुंचा जिसके बाद 26 मई 2025 कों विजय बहादुर सिंह और मुकेश शिवहरे के नाम पर रजिस्टर्ड संस्था के प्रतिनिधि रंजीत प्रतापभाई मिस्त्री ने रजिस्ट्री करवाई साथ ही भुगतान चेक के माध्यम से हुआ जो रजिस्ट्री में भी दर्ज है।

 

गुमराह करने की कोशिश

जब इस प्रतिनिधि ने संस्था के प्रतिनिधि रंजीत प्रताप भाई मिस्त्री से बात की तो उनका कहना है कुछ लोग प्रशासन को भ्रमित कर रहे है, पत्रकारवार्ता करके न्यायलय और प्रशासन को गुमराह करने की कोशिश कर रहे है।

 

क्रेता विजय बहादुर सिंह का कहना है की हमारे द्वारा किसी की ज़मीन पर बेवजह कब्ज़ा नहीं किया गया, चार वर्ष पहले हमने एग्रीमेंट किया और बयाना राशि अदा की अब चार वर्ष बाद रजिस्ट्री करवाई और राशि का भुगतान चेक के माध्यम से हुआ है। मुझे नहीं पता असली नकली कौन है यह देखना प्रशासन का काम है ज़मीन ख़रीदार का नहीं मेरे ऊपर लगाए गए आरोप गलत है। कोर्ट में 5 जुलाई की तारीख लगी है।

 

इस मामले में कोतवाली टीआई समीर पाटीदार का कहना है कि जांच की जा रही है, जैसे तथ्य आएंगे वैसी कार्रवाई की जायेगी।


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