संयुक्त कलेक्टर अक्षयसिंह मरकाम की कार्यप्रणाली को लेकर लंबे समय से उठ रहे सवाल अब गंभीर कार्रवाई में बदलते दिख रहे हैं। सर्किट हाउस को निजी आवास की तरह इस्तेमाल करने और बिना शुल्क चुकाए 132 दिन तक काबिज रहने पर लोक निर्माण विभाग (PWD) ने मरकाम को 79,200 रुपए जमा कराने का नोटिस जारी किया है। वहीं, कार्य में लगातार लापरवाही के चलते कलेक्टर नेहा मीना ने उनसे पीओ डूडा (जिला शहरी विकास अभिकरण) और रेडक्रॉस का प्रभार भी वापस ले लिया है। इनकी जिम्मेदारी अब सहायक कलेक्टर आशीष कुमार को दी गई है।
सर्किट हाउस को ‘घर’ बना लिया
मरकाम का तबादला झाबुआ जिले में हुआ था, लेकिन वे यहां सर्किट हाउस में ही निवासरत रहे। नियमों के मुताबिक, अधिकारी को सर्किट हाउस में रहने के लिए निर्धारित शुल्क चुकाना होता है। मगर मरकाम ने न तो समय पर राशि जमा की और न ही कोई वैध अनुमति ली। इस लापरवाही का हिसाब जोड़कर PWD ने 79,200 रुपए की बकाया राशि निकालकर नोटिस जारी किया।
लगातार लापरवाही और अनुशासनहीनता
सूत्रों के अनुसार, मरकाम कई बार महत्वपूर्ण बैठकों में गैरहाजिर पाए गए। कर्मचारियों के प्रति उनका रवैया भी विवादों में रहा। 23 जून को आयोजित जिला स्तरीय समीक्षा और निगरानी समिति की बैठक में उन्होंने बिना कलेक्टर की अनुमति कार्रवाई विवरण जारी कर दिया। इतना ही नहीं, मेघनगर नगर परिषद में जमीन उपलब्ध न होने का हवाला देकर उन्होंने अपनी मर्जी से कार्य निरस्त करने का प्रस्ताव वरिष्ठ कार्यालय भेज दिया।
RTI क्षतिपूर्ति राशि भी नहीं चुकाई
मरकाम पर सूचना के अधिकार (RTI) से जुड़ा मामला भी लंबित है। राज्य सूचना आयोग ने उन्हें 5,000 रुपए की क्षतिपूर्ति में से 2,500 रुपए कार्यालय में जमा करने का निर्देश दिया था, लेकिन उन्होंने अब तक यह राशि भी नहीं भरी। वरिष्ठ अधिकारियों के बार-बार मौखिक निर्देशों के बावजूद उनकी चुप्पी सवाल खड़े कर रही है।
पूर्व में भी विवादों में रहे
मरकाम का नाम इससे पहले भी जाति संबंधी दस्तावेजों में कथित फर्जीवाड़े को लेकर चर्चा में रहा था। अब सर्किट हाउस पर अवैध कब्जा और कार्य में लगातार ढिलाई ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। कलेक्टर नेहा मीना ने मप्र सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम-3 के तहत कदाचार और अनुशासनहीनता मानते हुए उन्हें नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जिला प्रशासन के सूत्र बताते हैं कि नोटिस और प्रभार छिनने के बाद संयुक्त कलेक्टर मरकाम छुट्टी पर चले गए हैं। अब देखना होगा कि वे नोटिस का क्या जवाब देते हैं और आगे उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई किस स्तर तक जाती है।