तेंदुए का आतंक फिर लौटा: झाबुआ, धार और आलीराजपुर में लगातार हमले, ग्रामीणों में दहशत


झाबुआ, धार और अलीराजपुर में तेंदुए के हमलों से दहशत। मवेशियों और ग्रामीणों पर लगातार हमले, वन विभाग ने रेस्क्यू अभियान शुरू किया और ग्रामीणों से सतर्क रहने की अपील की।


आशीष यादव
धार Updated On :

मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचलों में तेंदुए का खतरा एक बार फिर गहराता जा रहा है। धार, झाबुआ और अलीराजपुर जिलों में बीते कुछ दिनों से तेंदुए की बढ़ती गतिविधियों और लगातार हो रहे हमलों ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। आठ दिन के भीतर दो बड़े हमले हो चुके हैं, जिनमें मवेशी ही नहीं, इंसान भी घायल हुए हैं। ताजा मामला झाबुआ जिले के भूतखेड़ी गांव का है, जहां गुरुवार सुबह एक ग्रामीण पर तेंदुए ने हमला कर दिया।

 

झाबुआ जिले के भूतखेड़ी गांव में रतन पिता मोती बामनिया पर उस वक्त तेंदुए ने हमला किया, जब वह सुबह 9 बजे नदी से पानी लेने जा रहा था। तेंदुए ने रतन के सिर और गले पर हमला किया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे तुरंत झाबुआ जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां चिकित्सकों ने उसकी हालत स्थिर बताई है। घटना के बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और गांव में निगरानी के लिए दो कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी गई है।

 

इससे पहले, धार जिले के कुंडवाट और बेसवानी गांवों में भी तेंदुए का आतंक देखने को मिला। कुंडवाट में 7 जुलाई को तेंदुए ने वनपाल जीवन प्रकाश मंडलोई और वनरक्षक विपुल चौहान पर हमला कर दिया था। विपुल किसी तरह बच निकले, जबकि मंडलोई को गांव के युवक कविंद्र ने पत्थरों से हमला कर तेंदुए से बचाया। इसके बाद इंदौर और आलीराजपुर से आई संयुक्त रेस्क्यू टीम ने इलाके में सर्चिंग की, लेकिन तेंदुआ पकड़ में नहीं आया।

 

अब इसी तेंदुए के फिर से सक्रिय होने की आशंका जताई जा रही है। बेसवानी गांव के पटेल फलिया में मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात तेंदुए ने दो बार बकरे का शिकार किया। फिर बुधवार दोपहर जंगल में मवेशी चराने गए वीरेंद्र और केसल सिंह पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया। दोनों को इलाज के लिए गुजरात के बोडेली रेफर किया गया है।

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तेंदुआ जब एक बार शिकार कर लेता है तो आठ दिन तक पुनः शिकार नहीं करता। ऐसे में माना जा रहा है कि वही तेंदुआ अब फिर से शिकार की तलाश में बस्ती की ओर लौटा है। एसडीओ एएस ओहरिया ने बताया कि बेसवानी के जंगलों में नए सिरे से पिंजरे लगाए जाएंगे, फिलहाल कुंडवाट में एक पिंजरा लगा हुआ है।

 

ग्रामीणों में डर, वन विभाग ने जारी की चेतावनी

लगातार हो रहे हमलों को देखते हुए वन विभाग ने ग्रामीणों से सतर्क रहने की अपील की है। विभाग ने सलाह दी है कि कोई भी ग्रामीण अकेले जंगल में न जाए और पशुओं को झुंड में चराएं। इसके अलावा, विभाग क्षेत्र में सर्चिंग और निगरानी बढ़ा रहा है।

 

क्या कहता है यह खतरा?

इन घटनाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारे वन्यजीव संरक्षण तंत्र में कोई बड़ी चूक हो रही है? बस्तियों के नजदीक तेंदुओं का आना न केवल मानव-वन्यजीव संघर्ष को बढ़ा रहा है, बल्कि ग्रामीणों की जान जोखिम में डाल रहा है।


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