खेतों में पनपने लगे कीट, फसलों को कर रहे बर्बाद


किसानों के खेतों में इल्लियों का प्रकोप, तेज बारिश न होने से बढ़ी चिंता, उत्पादन पर पड़ेगा प्रभाव


आशीष यादव
धार Updated On :

किसान बड़ी उम्मीद से अपनी फसलों की बोवाई करता है। वह फसलों का अपने बच्चों की तरह लालन-पालन भी करता है, मगर बार-बार मौसम की बेरुखी और मौसम परिवर्तन के कारण इन दिनों किसान परेशान हैं। दूसरी ओर इल्लियों ने भी फसलों पर अपना डेरा जमा लिया है। किसान एक ओर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कर खेत से निकलता है, तो अगले दिन ही मच्छरों का प्रकोप दिखाई देने लगता है। किसान लगातार दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन कोई खास असर नहीं दिख रहा। वहीं मौसम की बेरुखी के चलते तेज बारिश नहीं होने से भी फसलों में रोग बढ़ रहे हैं। पहले तो रिमझिम बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया था, अब किसान तेज बारिश की उम्मीद में आसमान ताक रहे हैं। समय रहते यदि तेज बारिश नहीं हुई तो आगामी फसलों को भी बड़ा नुकसान हो सकता है।

सोयाबीन में ज्यादा इल्लियां


मौसम थोड़ा खुला तो फसलों पर कीटों ने हमला बोल दिया। इसका असर सोयाबीन और मक्का पर साफ देखा जा सकता है। हालांकि कृषि विभाग के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि बीते सालों की तुलना में इस बार फसलें बेहतर स्थिति में हैं। लेकिन किसान इससे सहमत नहीं दिख रहे। पिछले दिनों लगातार बारिश के बाद मौसम खुला तो उमस और आद्रता बढ़ गई, जिससे कीटों के लिए अनुकूल स्थिति बन गई। कुछ जगहों पर सोयाबीन और मक्का पर सेमीलूपर व गर्डल बीटल ने हमला किया है, तो कहीं मक्का की फसल पर स्टेम बोरर नुकसान पहुंचा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार कीट प्रकोप का आकलन करने के लिए खेत में एक मीटर क्षेत्र चिह्नित किया जाता है। इस क्षेत्र में दो-तीन से अधिक इल्लियां दिखें तो इसे आर्थिक क्षति स्तर का कीट प्रकोप माना जाता है। ऐसे में तुरंत नियंत्रण के उपाय जरूरी हो जाते हैं।

नई वैरायटी में ज्यादा प्रकोप


इन दिनों क्षेत्र के खेतों में सोयाबीन की नई किस्मों में इल्लियों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। बचाव के लिए किसान कीटनाशक दवाओं का लगातार छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन दवाएं भी बेअसर साबित हो रही हैं। इस वर्ष खरीफ सीजन में अधिकतर किसानों ने 150, 2218, 2117, 2034, 1516, 2096 जैसी नई वैरायटी की सोयाबीन बोई है। शुरुआत में फसल की बेहतर स्थिति को देखकर किसानों को अच्छी पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन फूल आने के बाद से ही उम्मीदें कम होने लगीं। बारिश के कारण फसलों में बांझपन आ गया, जिससे फलियां नहीं बन पाईं। फसलों में कर्रे भी कम दिख रहे हैं और ऊपर से इल्लियों के साथ रस चूसक मच्छरों का हमला किसानों की चिंता बढ़ा रहा है।

जोरदार बारिश की उम्मीद


सोयाबीन की फसल की ग्रोथ कमजोर होने से किसान खासे परेशान हैं। बोवनी के बाद से ही पर्याप्त बारिश न होने से फसलें बढ़ नहीं पा रही थीं। बीच-बीच में एक-दो दिन हुई रिमझिम बारिश से भी ज्यादा नुकसान ही हुआ। किसानों का कहना है कि यदि तेज बारिश होती है तो फसलों पर लगा कीट प्रकोप कम हो जाएगा, जिससे दवाओं के छिड़काव की जरूरत भी कम पड़ेगी।

धनश्याम कामदार, किसान सकतली

रात में नुकसान पहुंचा रहीं इल्लियां

रात के समय ये इल्लियां फसलों के पत्ते, फूल और तनों को भारी नुकसान पहुंचा रही हैं। किसान इनसे बचाव के लिए महंगी कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन ये दवाइयां भी बेअसर साबित हो रही हैं। किसानों का कहना है कि झमाझम बारिश जरूरी है। अगर बारिश नहीं होती तो इसका सीधा असर फसल की पैदावार पर पड़ेगा। इसके साथ ही फसलों में पीलापन जैसी बीमारियां भी दिखाई देने लगी हैं।

आशाराम यादव, किसान अनारद

 सोयाबीन की फसल पर मच्छरों का प्रकोप भी तेजी से बढ़ रहा है। मौसम खुलने के बाद रिमझिम बारिश की वजह से मच्छरों का हमला बढ़ गया है। किसान समय रहते कीटनाशक का छिड़काव कर रहे हैं ताकि फसल को बचाया जा सके।

जितेंद्र मंडलोई, किसान मलगांव

ये कीट पहुंचा रहे नुकसान:

  1. सेमीलूपर (चने की इल्ली)

  2. स्टेम बोरर (तना छेदक इल्ली)

  3. गर्डल बीटल

  4. तम्बाकू की इल्ली

  5. माहू, हरा मच्छर, सफेद मच्छर


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