इंदौर में पत्रकार और आदिवासी कार्यकर्ताओं पर हमले को लेकर सियासी घमासान


इंदौर प्रेस क्लब में पत्रकार सौरव बनर्जी और आदिवासी कार्यकर्ताओं पर बजरंग दल कार्यकर्ताओं द्वारा हमला किया गया। वामपंथी और समाजवादी दलों ने घटना की निंदा की और 28 जुलाई को मानव श्रृंखला के साथ प्रदर्शन का ऐलान किया है। पढ़िए पूरी खबर।


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इन्दौर Published On :

देवास जिले के ग्राम शुक्रवासा में सामाजिक कार्यों में लगे पत्रकार सौरव बनर्जी और उनके आदिवासी साथियों के साथ इंदौर प्रेस क्लब में हुई मारपीट की घटना ने मध्यप्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस घटना के खिलाफ वामपंथी, समाजवादी और कांग्रेस दलों ने संयुक्त रूप से विरोध दर्ज करते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी और पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

घटना 22 जुलाई को उस वक्त घटी जब सौरव बनर्जी और उनके सहयोगी इंदौर प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता कर रहे थे। इसी दौरान बजरंग दल से जुड़े कुछ असामाजिक तत्वों ने वहां पहुँचकर उनके साथ मारपीट की, महिलाओं को भी नहीं बख्शा और खुलेआम मंच पर हिंसा की। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह पूरी घटना पुलिस की मौजूदगी में हुई लेकिन हमलावरों के खिलाफ तुरंत कोई कार्रवाई नहीं की गई।

सामाजिक कामों के कारण टारगेट?

पश्चिम बंगाल से ताल्लुक रखने वाले सौरव बनर्जी पिछले पांच वर्षों से शुक्रवासा में ‘हाउल ग्रुप’ नामक स्वयंसेवी संगठन के माध्यम से शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। उनके साथ स्थानीय आदिवासी युवक-युवतियां भी जुड़े हुए हैं जो गांव में लाइब्रेरी, हेल्थ सेंटर और बाल शिक्षा केंद्र चला रहे हैं।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, बनर्जी के कामों से आदिवासी समाज में जागरूकता बढ़ी है, और इसका असर हाल के पंचायत चुनावों में भी देखने को मिला, जब उन्होंने एक उम्मीदवार को समर्थन दिया और भाजपा के प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा।

इसी घटनाक्रम के बाद से उन पर दबाव और हमलों का सिलसिला शुरू हुआ। 22 जुलाई को शुक्रवासा स्थित उनके सामाजिक केंद्र पर हमला हुआ और पांच साथियों को पुलिस ने बिना कारण बताए गिरफ्तार किया। इसके विरोध में वे इंदौर आए थे और इसी दौरान उनके साथ मारपीट हुई।

राजनीतिक दलों की संयुक्त बैठक

घटना को लेकर शनिवार को इंदौर में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालय में वामपंथी और समाजवादी दलों की बैठक हुई। इसमें कैलाश लिंबोदिया, सीएल सर्रावत, भागीरथ कछवाह, प्रमोद नामदेव, राहुल निहोरे, रामस्वरूप मंत्री सहित कांग्रेस, एसयूसीआई, सीपीआई और समाजवादी पार्टी के पदाधिकारी मौजूद रहे।
सभी ने घटना की तीव्र निंदा करते हुए कहा कि यह केवल एक पत्रकार या संगठन पर हमला नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र पर सीधा प्रहार है। उनका कहना है कि पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता से यह स्पष्ट होता है कि हमलावरों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।

विरोध प्रदर्शन की घोषणा

बैठक में तय हुआ कि सोमवार 28 जुलाई को शाम 4 बजे इंदौर के गांधी प्रतिमा तिराहे पर मानव श्रृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। उसके बाद पुलिस कमिश्नर कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा जाएगा जिसमें आरोपियों की गिरफ्तारी, गिरफ्तार साथियों की रिहाई और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की जाएगी।

राजनीतिक दलों ने सभी संवेदनशील नागरिकों, सामाजिक संगठनों और विद्यार्थियों से अपील की है कि वे इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन में भाग लें और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा में अपनी भूमिका निभाएं।


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