ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के खिलाफ भारत का निर्णायक प्रहार, सीमा पर तनाव चरम पर


भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की।यह हमला पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में किया गया।


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पिछले दो हफ्तों में घाटी में फैली बेचैनी और पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद भारत ने जो जवाब दिया, उसने न सिर्फ पड़ोसी देश को चौंकाया बल्कि यह दुनिया भर को संदेश दे गया कि अब भारत चुप नहीं बैठेगा। बुधवार रात भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई को 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक और 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद की सबसे बड़ी सैन्य प्रतिक्रिया माना जा रहा है।

 पहलगाम का बदला

23 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आत्मघाती आतंकी हमले में 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई थी। हमले की क्रूरता ने पूरे देश को झकझोर दिया। हमलावरों ने बस में यात्रा कर रहे तीर्थयात्रियों को निशाना बनाया। इस घटना के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया और भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया का संकेत दिया।

ऑपरेशन सिंदूर: लक्ष्य और रणनीति

रक्षा मंत्रालय की आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह कार्रवाई “मापी गई, सटीक और गैर-उत्तेजक” थी। ऑपरेशन का उद्देश्य केवल आतंकी ठिकानों को समाप्त करना था, न कि पाकिस्तानी सेना को उकसाना। नौ लक्षित स्थानों में से चार – बहावलपुर, मुरिदके (पाकिस्तान पंजाब), मुज़फ्फराबाद और कोटली (PoK) – लंबे समय से आतंकी संगठनों जैसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के गढ़ रहे हैं।

बहावलपुर – जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का गृहनगर।
मुरिदके – लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद की गतिविधियों का मुख्य केंद्र।
मुज़फ्फराबाद और कोटली – पीओके में मौजूद आतंकी लॉन्च पैड्स, जहां से आतंकियों को भारत में घुसपैठ कराई जाती रही है।

सूत्रों के अनुसार, भारत ने हाई-प्रिसिजन मिसाइल स्ट्राइक और विशेष बलों की सीमित कार्रवाई के जरिए ये हमले किए। खास बात यह रही कि इस बार भी नागरिक ठिकानों से दूरी बनाई गई और सिर्फ उन्हीं ठिकानों को निशाना बनाया गया जो आतंकवाद से सीधे जुड़े थे।

प्रधानमंत्री की सीधी निगरानी

बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार रात को ऑपरेशन सिंदूर की संपूर्ण निगरानी की। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा सचिव आर. के. सिंह और सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के साथ लगातार उच्चस्तरीय बैठकें होती रहीं। इन बैठकों में सिर्फ सैन्य रणनीति नहीं बल्कि संभावित कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर भी चर्चा हुई।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और सीमा पर तनाव

जैसे ही ऑपरेशन सिंदूर की खबर सार्वजनिक हुई, पाकिस्तान ने एलओसी पर भारी गोलीबारी शुरू कर दी। राजौरी और पुंछ के भींबर गली, कृष्णा घाटी, मनकोट और शाहपुर सेक्टर में रातभर तोपों की आवाज गूंजती रही। एक स्थानीय महिला के मारे जाने की सूचना है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

भारतीय सेना ने संयम बरतते हुए सीमित जवाबी कार्रवाई की, ताकि युद्ध जैसे हालात न बनें। हालांकि सेना ने अपने अग्रिम मोर्चों को पूरी तरह चौकस कर दिया है और अतिरिक्त बलों की तैनाती की जा रही है।

हवाई यातायात पर असर

सुरक्षा कारणों से श्रीनगर एयरपोर्ट से सभी नागरिक उड़ानें बुधवार को रद्द कर दी गईं। भारत-पाकिस्तान सीमा के निकटवर्ती कई इलाकों में हाई अलर्ट घोषित किया गया है। IAF की ओर से जारी NOTAM (Notice to Airmen) में बताया गया है कि वायुसेना बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास कर रही है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और कूटनीति

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, “उम्मीद है यह टकराव जल्द समाप्त होगा।” NSA अजित डोभाल ने अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार मार्को रुबियो को ऑपरेशन की जानकारी दी। भारत सरकार इस अभियान से पहले और बाद में सभी प्रमुख वैश्विक ताकतों को विश्वास में लेने की कोशिश में जुटी रही है।

ऑपरेशन सिंदूर का नाम क्यों?

सूत्रों का कहना है कि इस ऑपरेशन को “सिंदूर” इसलिए नाम दिया गया क्योंकि पहलगाम हमले में मारे गए श्रद्धालुओं में कई विवाहित महिलाएं भी थीं और उनके पति सिर्फ धार्मिक आस्था के कारण निशाना बनाए गए। यह नाम प्रतीक है उस “लाल रेखा” का, जिसे पार करने वालों को अब जवाब मिलेगा।

 

भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अब सिर्फ कूटनीतिक निंदा से संतुष्ट नहीं रहेगा। आतंक के विरुद्ध यह निर्णायक और सटीक जवाब भविष्य में ऐसे किसी दुस्साहस को रोकने के लिए नया प्रतिमान बन सकता है। ऑपरेशन सिंदूर केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक नीति परिवर्तन का सूचक है – “अब अगर भारत पर हमला हुआ, तो जवाब तय है।”


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