नया कानूनः प्रधानमंत्री और मंत्रियों की गिरफ्तारी ही काफी: अमित शाह ने लोकसभा में पेश किए तीन अहम बिल, 30 दिन हिरासत के होंगे बाहर


गंभीर अपराध में गिरफ्तारी के 30 दिन बाद प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री की कुर्सी जाएगी। शाह ने संसद में 3 अहम विधेयक पेश किए।


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बड़ी बात Updated On :

देश की राजनीति और शासन व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाने की तैयारी हो चुकी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन बड़े विधेयक पेश किए, जो संविधान, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम और केंद्रशासित प्रदेशों से जुड़े हैं। इन विधेयकों का मकसद स्पष्ट है—अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार होकर 30 दिन तक हिरासत में रहता है, तो 31वें दिन उसका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा।

यह कदम हाल के वर्षों में कई हाई-प्रोफाइल मामलों में नेताओं की गिरफ्तारी और उसके बावजूद उनके पद पर बने रहने के विवादों के मद्देनजर उठाया गया है। खासकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी जैसे मामले इस बहस के केंद्र में रहे हैं।

क्या हैं ये तीन बिल?

1. गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025

यह बिल 1963 के एक्ट में बदलाव करेगा। अभी तक केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों या मंत्रियों के खिलाफ कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था जो उन्हें आपराधिक मामलों में हिरासत के दौरान पद से हटाने की अनुमति दे। इस बिल के ज़रिए धारा 45 में संशोधन कर ऐसा तंत्र लाया जा रहा है जिससे उन्हें 30 दिन बाद पदमुक्त किया जा सके।

2. 130वां संविधान संशोधन विधेयक 2025

यह संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन करेगा। इन अनुच्छेदों के तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को तभी हटाया जा सकता था जब वे दोषी ठहराए जाएं। अब गिरफ्तारी और लगातार 30 दिन हिरासत भी पद से हटाने के लिए पर्याप्त कारण माने जाएंगे।

3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025

यह 2019 के जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन करेगा। इसके बाद, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री या मंत्री अगर गंभीर आरोपों में गिरफ्तार होते हैं और 30 दिन हिरासत में रहते हैं, तो उन्हें भी पद से हटाया जा सकेगा। इस बदलाव से जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक संरचना में भी पारदर्शिता आएगी।

क्या होगा गंभीर अपराध का मापदंड?

सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि यह प्रावधान उन्हीं मामलों में लागू होगा जिनमें न्यूनतम पांच साल की सजा का प्रावधान है। ऐसे अपराधों में हत्या, बलात्कार, आतंकवाद से जुड़े मामले, मनी लॉन्ड्रिंग और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार जैसे अपराध शामिल माने जाएंगे।

क्यों आई जरूरत?

पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई उदाहरण सामने आए जहां मुख्यमंत्री या मंत्री गिरफ्तारी के बाद भी पद पर बने रहे। सबसे चर्चित मामला दिल्ली के सीएम केजरीवाल का रहा, जिन्हें शराब नीति केस में ED ने गिरफ्तार किया था, लेकिन वे 6 महीने तक पद पर बने रहे। बाद में जमानत मिलने पर उन्होंने इस्तीफा दिया। इससे संविधान की भावना और जनता के विश्वास पर सवाल खड़े हुए।

विपक्ष की क्या प्रतिक्रिया?

इन विधेयकों को लेकर विपक्ष की ओर से मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ विपक्षी दलों का कहना है कि इससे राजनीतिक बदले की कार्रवाई को बढ़ावा मिल सकता है, जबकि कई दलों ने इसे लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी कदम बताया है। हालांकि, अभी यह देखना बाकी है कि संयुक्त संसदीय समिति इन विधेयकों में क्या सुझाव देती है।

ऑनलाइन गेमिंग पर भी सख्ती

इन तीन विधेयकों के अलावा केंद्र सरकार ने ऑनलाइन मनी गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने वाला बिल भी लोकसभा में पेश किया। इसके तहत तीन साल की जेल या 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है। ऑनलाइन गेमिंग को लेकर बढ़ती चिंताओं के चलते यह एक बड़ा फैसला माना जा रहा है।


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