बीमा राशि पर किसानों का गुस्सा, धार जिले में उठा सवाल


धार जिले में किसानों को पीएम फसल बीमा योजना के तहत महज 95 रुपए तक का मुआवजा मिला। किसान ठगा महसूस कर रहे, विरोध तेज।


आशीष यादव
उनकी बात Published On :

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए सुरक्षा कवच बताई जाती है, लेकिन हकीकत इससे काफी अलग है। धार जिले में कई किसानों को बीमा क्लेम के नाम पर महज 95 रुपए जैसी मामूली राशि मिली है। किसानों का कहना है कि उन्होंने जितनी प्रीमियम राशि जमा की, उतना भी उन्हें वापस नहीं मिला। ऐसे हालात में किसान खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं और बीमा योजना पर सवाल उठाने लगे हैं।

धार जिले की वसूला तहसील के बगड़ी और तलवाड़ा गांवों में कई किसानों को 95 रुपए से लेकर 400 रुपए तक का बीमा क्लेम मिला है। यह राशि उनकी वास्तविक क्षति के मुकाबले बेहद कम है। एक किसान राहुल चौधरी ने बताया कि आठ बीघा में सोयाबीन की पूरी फसल खराब हो गई, लेकिन मुआवजा केवल 95 रुपए मिला। किसानों का कहना है कि इतनी राशि बताने में भी शर्म आती है। यह तो “ऊंट के मुंह में जीरे” जैसा है।

आवेदन और विरोध

जिले में करीब 300 किसानों को अभी तक बीमा क्लेम नहीं मिला है। इन किसानों ने बैंक डिटेल और अन्य जरूरी कागजों के साथ आवेदन भी किया है। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि सात दिन के भीतर स्थिति स्पष्ट नहीं की गई तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। वहीं, कुछ किसानों ने नाराज होकर बीमा प्रीमियम ही बंद कराने के आवेदन भी दे दिए हैं।

कृषि विभाग का कहना है कि 11 अगस्त को जिले के 1 लाख 54 हजार किसानों को 29 करोड़ 64 लाख 60 हजार रुपए का भुगतान किया गया है। विभाग का तर्क है कि नुकसान का आकलन पिछले पांच सालों के औसत उत्पादन के आधार पर और सैटेलाइट सर्वे से किया जाता है। लेकिन किसानों का आरोप है कि सर्वे सही समय पर नहीं होता और कंपनियां मनमानी करके नाममात्र की राशि भेज देती हैं।

फसल बीमा प्रीमियम का गणित

योजना के तहत किसान खरीफ फसलों के लिए 2%, रबी फसलों के लिए 1.5% और वाणिज्यिक-बागवानी फसलों के लिए 5% प्रीमियम भरते हैं। शेष राशि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर देती हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी किसान की खरीफ फसल का बीमा प्रीमियम 4,000 रुपए है, तो किसान केवल 800 रुपए देगा और बाकी 3,200 रुपए सरकार वहन करेगी। इसके बावजूद किसानों को जब मुआवजा 100 या 200 रुपए ही मिलता है तो स्वाभाविक है कि नाराजगी बढ़ती है।

जिले में करीब 3 लाख किसान खेती करते हैं, लेकिन बीमा योजना में इस बार महज 77,900 किसानों ने आवेदन किया। पिछले साल की तुलना में यह संख्या काफी कम है। किसानों का कहना है कि योजना पर भरोसा खत्म हो रहा है, क्योंकि जब फसल खराब होने पर सही मुआवजा ही नहीं मिलता, तो बीमा कराने का कोई मतलब नहीं।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को किसानों की सुरक्षा के लिए लाया गया था, लेकिन जमीनी स्तर पर यह किसानों को राहत देने के बजाय परेशानी का कारण बन रही है। किसानों का साफ कहना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो वे इस योजना से किनारा कर लेंगे।


फैक्ट फाइल:

  • 03 लाख हेक्टेयर में हुई थी सोयाबीन की बुआई

  • 1.70 लाख किसानों ने कराया बीमा

  • 1.54 लाख किसानों को मिला भुगतान

  • 29 करोड़ 64 लाख 60 हजार रुपए बांटे गए





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