MP: बीमार पति ने लगाई तलाक की अर्जी, पत्‍नी अलग होने के लिए नहीं है तैयार

भोपाल में बीते कई दिनों से कोर्ट में तलाक के अनोखे केस सामने आ रहे हैं। अब जो नया केस सामने आया है, उसमें पति ने शादी के दस साल बाद तलाक की अर्जी लगाई है, ताकि उसकी पत्नी अपनी बाकी की जिंदगी आराम से जी सके। दरअसल पति को रीढ़ की हड्डी में गंभीर बीमारी है। इसी कारण उसने अब अलग होने का निर्णय लिया है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर

भोपाल। भोपाल में बीते कई दिनों से कोर्ट में तलाक के अनोखे केस सामने आ रहे हैं। अब जो नया केस सामने आया है, उसमें पति ने शादी के दस साल बाद तलाक की अर्जी लगाई है, ताकि उसकी पत्नी अपनी बाकी की जिंदगी आराम से जी सके।

दरअसल पति को रीढ़ की हड्डी में गंभीर बीमारी है। इसी कारण उसने अब अलग होने का निर्णय लिया है। पति का कहना है कि

पत्नी ने दस साल मेरा साथ दिया है। मेरी रीढ़ की हड्डी की बीमारी को जानते हुए भी हर दम मेरी ताकत बनकर खड़ी रही, लेकिन अब मेरे जीवन का कोई भरोसा नहीं है, इसलिए मैं चाहता हूं कि वह आगे अपनी खुशहाल जिंदगी जीए, इसलिए तलाक के लिए आवेदन दिया है।

भोपाल कुटुंब न्यायालय की काउंसलर के पास 37 वर्षीय एक युवक पहुंचा और उसने काउंसलर को बताया कि उसकी रीढ़ की हड्डी का बड़ा ऑपरेशन होने वाला है और उसके बाद पता नहीं उसके जीवन का क्या होगा।

दूसरी तरफ युवक की मां का कहना है कि उसे बहू से कोई सरोकार नहीं है। वह अपनी पूरी संपत्ति अपनी बेटी के नाम करेगी।

काउंसिलिंग के दौरान दंपती बेहद व्यथित नजर आए। युवक ने बताया कि उनकी शादी को दस वर्ष हो चुके हैं और शादी के कुछ ही समय बाद उसे रीढ़ की हड्डी का रोग हो गया।

इसके कारण उसने पार्ट टाइम हल्का-फुल्का काम कर पाता है, जिससे बमुश्किल पांच हजार रुपये की आमदनी हो पाती है।

उसने बताया कि पत्नी ने ऐसे समय भी उसका साथ दिया, जबकि न वह परिवार बढ़ा सकता था और ना ही आर्थिक रूप से मजबूत था।

खुद की मां के मुंह फेर लेने से अब वह टूट गया है और उसे पत्नी के भविष्य की चिंता सताने लगी है। पति द्वारा काफी समझाने के बाद भी पत्नी साथ छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।

युवक ने अपनी मां से कहा कि एक बड़ा मकान जो 80 लाख कीमत का है, उसे बेच देते हैं और आधे पैसों से दूसरा मकान खरीद कर बाकी आधे पैसों से एक दुकान खरीद लेते हैं जिस पर वह और उसकी पत्नी बारी-बारी से बैठकर काम किया करेंगे, लेकिन उसकी मां ने साफ कह दिया है कि वह उससे किसी सहायता की उम्मीद ना रखे।

युवक के मुताबिक उसकी मां ने यह मकान बेटी को देने का फैसला किया है जो खुद भी जॉब करती है और हैदराबाद में एक संपन्न जीवन जी रही है।

कुटुंब न्यायालय की काउंसलर सरिता राजानी के मुताबिक,

अक्सर देखा यह जाता है कि इस तरह के केसेस में मां का रुझान अपने बीमार बेटे की ओर होता है। यहां मां और बहन दोनों का निर्णय समझ से परे है। अगली काउंसिलिंग में मां को बुलाकर समझाया जाएगा।

First Published on: November 25, 2020 3:18 PM