सबसे ज़्यादा मानसिक कष्ट में भाजपा के उम्मीदवार को माना जा सकता है कि वह दिल्ली पहुँचकर मुँह कैसे दिखाएँगा कि किसे और कितने मतों हराकर संसद में पहुँचा है !
वही जनता थी वे ही राजनीतिक कार्यकर्ता और वे ही नेता लेकिन इस बार बातें प्यार की थीं, कांग्रेस की टूट सामने है और भाजपा की सत्ता की शक्ति से ढ़की हुई
जो लोग सार्वजनिक तौर पर दावे करते हैं कि वे प्रधानमंत्री को बहुत चाहते हैं हक़ीक़त में मोदी की छवि का उपयोग स्वयं के डरने में भी कर रहे हैं और दूसरों को…
प्रधानमंत्री के कहे पर जनता को किस तरह से यक़ीन करना चाहिए ? पीएम अपनी जनसभाओं में ऊँची आवाज़ में कहते हैं कि बाबासाहब आम्बेडकर भी आ जाएँ तो संविधान नहीं बदलेगा। दूसरी…
बाबा साहब के नाम पर बहुत सारे आयोजन और कर्मकांड हो रहे हैं. लेकिन उनके विचार, उनके लेखन और उनकी रचनाओं को लोगों के बीच पहुंचाने की कोशिश सिरे से गायब है।
विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने प्रत्याशियों से इन मुद्दों को उठाने का अनुरोध किया, इनमें विस्थापन, सिंचाई परियोजनाओं और आदिवासी समाज के विषय अहम हैं।