केंद्रीय विश्वविद्यालय में बजट की कमी के चलते अधूरे पड़े हॉस्टल

नए बनाए जा रहे हॉस्टल में  अब जो काम बचा है उसके लिए अब करीब 8 से 10 करोड़ रुपए की और जरूरत है लेकिन विश्वविद्यालय के पास इसके लिए कोई बजट फिलहाल नहीं है।  इनमें पांच विशाल ब्लॉक तीन साल पहले ही बनकर तैयार हुए हैं उनमें करीब तीन सौ कमरे हैं।

सागर। डॉ हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय में प्रदेश के कई जिलों और बाहरी राज्यों से आने वाले ज्यादातर छात्रों की समस्या यह है कि उन्हें किराए के कमरों में रहना पड़ता है। जिसके चलते उन पर आर्थिक बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है।

इन छात्रों को उम्मीद थी कि विश्वविद्यालय में उन्हें हॉस्टल की सुविधा मिलेगी लेकिन  करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी फिलहाल विश्वविद्यालय प्रशासन इन छात्रों के लिए कुछ खास नहीं कर सका है।

सागर विश्वविद्यालय में 5 साल पहले ही बॉयज हॉस्टल स्वीकृत हो चुका है लेकिन इसका पूरा निर्माण अब तक नहीं हो पाया है। साल भर पहले हॉस्टल में 8 में से  5 ब्लॉक बनकर तैयार हो चुके हैं। यहां शेष 3 ब्लॉक का काम होना बाकी है, यह भी एक साल से रुका हुआ है।

सागर विश्वविद्यालय में निर्माणाधीन हास्टल

 

विश्वविधालय इसकी वजह बजट की कमी को बता रहा है। जिसके चलते निर्माण एजेंसी सीपीडब्ल्यूडी भी अब इसका में कोई खास रुचि नहीं ले रही है। बताया जाता है कि हॉस्टल का निर्माण तीन चरणों में किया जाना था जिसके लिए करीब 24 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान निर्माण कंपनी एचएससीएल को किया गया है।

सागर विश्वविद्यालय में फिलहाल 4 बॉयज हॉस्टल है लेकिन छात्रों की संख्या को देखते हुए यह कम पड़ रहे है। इसी समस्या को देखते नए बॉयज हॉस्टल का निर्माण करने की योजना बनाई गई थी।

नए बनाए जा रहे हॉस्टल में  अब जो काम बचा है उसके लिए अब करीब 8 से 10 करोड़ रुपए की और जरूरत है लेकिन विश्वविद्यालय के पास इसके लिए कोई बजट फिलहाल नहीं है।  इनमें पांच विशाल ब्लॉक तीन साल पहले ही बनकर तैयार हुए हैं उनमें करीब तीन सौ कमरे हैं।

कमरों को विद्यार्थियों के रहने के तैयार करने के लिए थोड़ा-बहुत काम बाकी है। इसके बावजूद भी यह ब्लॉक विद्यार्थियों के लिए आवंटित नहीं किए गए हैं।  इस दौरान का कोई मेंटेनेंस भी नहीं किया गया ऐसे में अब इनकी हालत भी बिगड़ने लगी है।

First Published on: October 18, 2020 11:32 AM