सीएम को उनके शब्द और वादा याद दिलाने के लिए जारी है ‘शोषित’ संविदा कर्मियों का आंदोलन

सीएम शिवराज ने कहा था संविदा को शोषित व्यवस्था, संविदा कर्मियों ने शुरु किया है आंदोलन, नर्मदा किनारे ग्वारीघाट पर हो रहा है प्रदर्शन

जबलपुर ग्वारी घाट में प्रदर्शन

इंदौर।  सरकारी नौकरी पाने और इन नौकरियों में बेहतरी की उम्मीद के लिए युवाओं,  प्रवेश परीक्षा पास कर चुके अभ्यर्थियों और कर्मचारियों को उम्मीद थी कि उनके आंदोलन से प्रभावित होकर प्रदेश सरकार कुछ करेगी। कयास लगाए जा रहे थे कि आने प्रदेश के स्थापना दिवस के दिन 1 नवंबर को संविदा कर्मचारियों को कोई तोहफ़ा मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुख्यमंत्री मौन रहे और इसके बाद संविदा इन कर्मचारियों में हताशा देखी गई। हालांकि इसके बाद भी इन कर्मचारियों का आंदोलन अब तक खत्म नहीं हुआ है।

मप्र में करीब डेढ़ लाख संविदा कर्मचारी हैं। ये कर्मचारी विभिन्न विभागों में शामिल हैं। इनमें स्वास्थ, शिक्षा, पंचायत राजऔर  बिजली विभाग में इनकी संख्या सबसे अधिक है। शिक्षा विभाग के तहत आने वाले राज्य शिक्षा मिशन के कर्मचारी लगातार अपने नियमितिकरण के लिए आवाज़ उठा रहे हैं।

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महाकौशल क्षेत्र और विशेषकर जबलपुर ज़िले में कर्मचारी सबसे ज्यादा सक्रियता दिखा रहे हैं। पिछले दिनों जबलपुर में ग्वारी घाट पर बैठकर संविदा कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री और महत्वपूर्ण अधिकारियों को अपनी मांगों को लेकर पत्र लिखे और साफ सफाई की। इन कर्मचारियों ने तय किया है कि अब ये हर हफ्ते इसी तरह प्रदर्शन करेंगे।

कर्मचारियों के मुताबिक संविदा की शोषित व्यवस्था के खिलाफ उनका यह शांतिपूर्ण सत्याग्रह है और इसके द्वारा वे चाहते हैं कि मुख्यमंत्री अपना वादा और अपने शब्द याद करें क्योंकि उन्होंने पिछले विधानसभा चुनावों से ठीक पहले संविदा को एक शोषित व्यवस्था कहा था और वादा किया था कि वे इसे खत्म कर देंगे लेकिन अब तक मुख्यमंत्री को अपना वादा याद नहीं है और अगर याद है तो वे इससे मुकर गए हैं। कर्मचारी कहते हैं कि ऐसे में उनके सामने शांतिपूर्ण प्रदर्शन ही एकमात्र सहारा है।

First Published on: November 21, 2022 9:28 AM