IIMC के ‘शुक्रवार संवाद’ में बोले पद्मश्री गिरीश प्रभुणे, पारंपरिक शिक्षा प्रणाली से आएगा सुराज

कार्यक्रम में आईआईएमसी के डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह सहित संस्थान के सभी केंद्रों के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

iimc shukrawar samvad

नई दिल्‍ली। भारतीय जन संचार संस्‍थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘शुक्रवार संवाद’ को संबोधित करते हुए पद्मश्री से सम्मानित वरिष्‍ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं भटके विमुक्‍त विकास परिषद, पुणे के संस्‍थापक गिरीश प्रभुणे ने कहा कि हमने स्‍वतंत्रता हासिल कर ली है और अब हम सुराज की तरफ बढ़ रहे हैं। यह तब होगा, जब हम हमारी परंपरागत शिक्षा पद्धति की ओर लौटेंगे। महान जनजातीय परंपराओं में शताब्‍दियों से मौजूद अथाह ज्ञान भंडार से सीखेंगे।

कार्यक्रम में आईआईएमसी के डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह सहित संस्थान के सभी केंद्रों के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

‘भारत की घुमंतू जनजातियां’ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए प्रभुणे ने कहा कि भारत में दौ सौ से ज्‍यादा विश्वविद्यालय हैं, लेकिन आज जितने भी महत्‍वपूर्ण आविष्‍कार या प्रौद्योगिकियां हैं, सब विदेशों से यहां आई हैं, क्‍योंकि, हमने अपनी पारंपरिक शिक्षा की उपेक्षा की है।

उन्होंने कहा कि जब हम अपनी शिक्षा पद्धति‍ से पढ़ते थे, तो हमने शून्‍य से आकाश तक, दुनिया को एक से बढ़कर एक सौगातें दीं। हमारे यहां अनेक कौशल विकास संस्‍थान हैं, लेकिन सभी में आधुनिक कौशल पढ़ाया जाता है। अब समय आ गया है जब इन संस्थानों में पारंपरिक कौशल की पढ़ाई शुरू की जाए।

भारत में घुमंतु जनजातियों के प्रति समाज और सरकार की सोच के बारे में उन्‍होंने बताया कि 1991 तक इनके साथ अंग्रेजों द्वारा बनाये ‘क्रिमिनल ट्राइब्‍स एक्‍ट, 1871’ के अनुसार व्‍यवहार किया जाता था। कहीं भी चोरी या डकैती जैसा कोई भी अपराध होता, तो पुलिस सबसे पहले उन्‍हें ही पकड़कर जेल में डाल देती थी। न कोई जांच, न कोई एफआईआर, सालों तक वे कालकोठरी में बंद रहकर पुलिस की यातनाएं झेलते रहते थे।

प्रभुणे के अनुसार उन्‍होंने इस अत्‍याचार व शोषण को देखते हुए इन लोगों के सम्‍मान और अधिकारों के लिए काम करना शुरू किया। उन्‍होंने बच्‍चों के लिए एक छात्रावास की व्‍यवस्‍था की, जहां उनके रहने और पढ़ाई की व्‍यवस्‍था की जाती थी। धीरे-धीरे उनके प्रयास रंग लाने लगे और घुमंतू जनजाति‍यों के हजारों लोगों को इसका लाभ हुआ।

उन्होंने बताया कि आज उनके पुनरूत्‍थान समरसता गुरुकुल में सैकड़ों छात्र आधुनिक विषयों के साथ-साथ पारंपरिक हुनर, कलाओं और संस्‍कृति की शिक्षा भी प्राप्‍त कर रहे हैं।

कार्यक्रम में स्वागत भाषण आउटरीच विभाग के प्रमुख एवं डीन (छात्र कल्‍याण) प्रो. प्रमोद कुमार ने दिया, संचालन डॉ. राजेश कुशवाहा ने किया एवं धन्‍यवाद ज्ञापन डॉ. दिलीप कुमार ने दिया।

First Published on: February 10, 2023 7:33 PM