VIDEO: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था, शहडोल में बेटी का शव लेकर बाइक पर निकला पिता क्योंकि नियमों का हवाला देकर अस्पताल ने नहीं दिया एम्बुलेंस

shahdol no ambulance

शहडोल। शहडोल में लक्ष्मण सिंह गोंड (आदिवासी) की 13 साल की बेटी माधुरी की सिकलसेल बीमारी से मौत हो गई और उसे वापस 70 किमी दूर लेकर जाना था।

अभागे पिता ने निजी शव वाहन के लिए पैसे नहीं होने की वजह से जिला अस्पताल प्रशासन से शव वाहन की मांग की तो अस्पताल प्रबंधन ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि वे केवल 15 किमी के अंदर के लिए ही वाहन उपलब्ध करवाते हैं।

प्राइवेट एम्बुलेंस के लिए पैसे नहीं थे तो अभागा पिता लक्ष्मण मजबूरी में अपनी बेटी माधुरी का शव बाइक पर लेकर 70 किलोमीटर की पहाड़ जैसी दूरी तय करने के लिए निकल पड़ा।

हालांकि, जैसे ही यह खबर आधी रात को जिला कलेक्टर वंदना वैद्य और जिला अस्पताल के सिविल सर्जन को मिली तो उन्होंने तत्काल पिता को रास्ते में ही रुकवाया और उसके लिए शव वाहन का इंतजाम करवाया।

इस बारे में बात करने पर पिता लक्ष्मण सिंह ने बताया कि

उनकी 13 वर्षीय बेटी माधुरी सिकलसेल नामक बीमारी से पीड़ित थी जिसके कारण उसके शरीर में खून की कमी थी। आईसीयू में रखकर उसे खून चढ़ाया जा रहा था, तभी उसकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि बेटी के शव को लेकर हमें रात में ही घर निकलना था। जिला अस्पताल प्रबंधन से हमने शव वाहन मांगा, तो मुझसे कहा गया कि हम शव वाहन सिर्फ 15 किमी के अंदर ही देते हैं। 70 किमी के लिए शव वाहन नहीं मिलेगा, तुम प्राइवेट शव वाहन कर लो।

इसके बाद ही वे मजबूरी में बाइक पर शव रखकर निकल पड़े क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, जो प्राइवेट एम्बुलेंस करके कोटा गांव जा पाते इसलिए मजबूरी में बाइक से ही 70 किलोमीटर का सफर तय करने का फैसला लिया।

लक्ष्मण ने बताया कि जब बेटी के शव को बाइक पर लेकर अस्पताल से तकरीबन 3 किमी दूर निकल आए तो कुछ लोगों ने उनकी बाइक को रूकवाया और फिर उनसे घटना के बारे में जानकारी ली।

इसके बाद ही उन लोगों ने मामले की जानकारी कलेक्टर वंदना वैद्य को दी और उन्होंने सिविल सर्जन को जानकारी दी। मौके पर पहुंचे दोनों अधिकारियों ने मुझे शव वाहन दिलाया जिसके बाद बेटी के शव को लेकर गृह ग्राम कोटा पहुंचा।

जानकारी मिलते ही शव वाहन का किया इंतजाम –

रात को 11 बजे मुझे सूचना मिली कि कोई शख्स बेटी के शव को लेकर बाइक से जा रहा है। मेरा सबसे पहला प्रयास था कि उनको रोककर शव वाहन उपलब्ध कराया जाए। मैंने कुछ सामाजिक संगठनों से बात की। मैंने सिविल सर्जन से बात की और हम मौके पर पहुंच गए। मैंने अपनी तरफ से कुछ मदद की और पास के होटल से खाना खिलाया। उसके बाद शव वाहन से बिटिया के शव के साथ उनको रवाना कर दिया। – वंदना वैद्य, जिला कलेक्टर, शहडोल

First Published on: May 16, 2023 10:12 AM