कलेक्टर पहुंचे किसानों के बीच और समझा जैविक खेती से मुनाफ़े का गणित

कलेक्टर ने कहा कि जैविक खेती किसानों की समृद्धि का आधार बन सकती है। कलेक्टर ने यहां जैविक खेती करने वाले किसान नरेंद्र सिंह राठौड़ की खेती भी देखी।

धार। जिला कलेक्टर आलोक कुमार सिंह इन दिनों किसानों के बीच पहुंच रहे हैं। कलेक्टर यहां किसानों की समस्याएं और उपलब्धियां दोनों समझ रहे हैं।

कलेक्टर आलोक कुमार सिंह लबरावदा गांव पहुंचे। यहां उन्होंने किसान चौपाल लगाकर जैविक खेती और उसके लाभ या हानि के गणित के बारे में जैविक खेती करने वाले किसानों से चर्चा की।

कलेक्टर ने कहा कि जैविक खेती किसानों की समृद्धि का आधार बन सकती है। कलेक्टर ने यहां जैविक खेती करने वाले किसान नरेंद्र सिंह राठौड़ की खेती भी देखी। किसान नरेंद्र सिंह राठौड़ की 30 बीघा जमीन पर सौ  जैविक खेती कर रहे हैं।

वे पुराने सोना मोती गेहूं व देसी बंसी गेहूं सहित अदरक, हल्दी, प्याज, लहसुन, सफेद मूसली, मक्का, तरबूज, केले, अमरूद की खेती करते हैं। खेती को देखते हुए  कलेक्टर ने कृषक के खेत पर ही वृक्षों की छाव में क्षेत्रीय कृषकों से चर्चा की।

कलेक्टर सिंह ने किसानों से चर्चा करते हुए कहा कि किसान हित में और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए वे प्रयासरत हैं। जैविक खेती से किसानों के खेत में उर्वरक क्षमता बढ़ती है। जैविक पद्धति से खेती उत्पादन किया हुआ खाद्यान्न स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।

किसान नरेंद्र राठौड़ को पिछले दिनों मध्य प्रदेश शासन के कृषि मंत्री कमल पटेल द्वारा इंदौर में सम्मानित किया गया और इससे पहले उन्हें साल 2016 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में सम्मानित किया था और वे मध्यप्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था भोपाल द्वारा विगत 4 वर्षों से पंजीकृत भी हैं। इस दौरान कलेक्टर के साथ उप संचालक कृषि आर एल जामरे ,आत्मा विभाग अधिकारी भी मौजूद थे।

जैविक खेती करने वाले किसान राठौड़ ने बताया कि वे अपने खेत में जैविक खाद का प्रयोग कर रहे है। उनका कहना है कि जैविक खेत से मुझे काफी लाभ मिला रहा है। जैविक खेती के अलावा उन्होंने अपने खेत पर ड्रिप इंरीगेशन भी लगा रखा है। उनका कहना है कि चने, आलू, अदरक, लहसून, प्याज, मटर, गेहूं, तरबूज और खरबूज जैसी फसल ली है। उनके मुताबिक जैविक खाद से सब्जियों का भी एक अलग ही स्वाद आ रहा है। उन्होंने एक खेती पर तीन फसल लगा रखी हैं।

उनका कहना है कि ड्रिप इरीगेशन के चलते वे तीन फसल ले पा रहे हैं।  उन्होंने पास के खेत की मिट्टी हाथ में लेकर अपने जैविक खेत की मिट्टी से तुलना करते हुए कहा कि खेती में जितना जैविक खाद का प्रयोग करेंगे उतना ही फायदा खेत की मिट्टी को भी होगा है। पहले के समय में किसान जैविक खाद का उपयोग करते थे लेकिन जैसे-जैसे समय बदला और किसान अपने खेतों में कीटनाशक का ज्यादा प्रयोग करने लगे, बीमारी भी घर करने लगी है। ऐसे में जैविक खेती जरुरी हो चुकी है।

First Published on: March 28, 2021 1:56 PM