धारः आबादी से ज़्यादा हैं वाहन, प्रदूषण कम करना भी आपकी ही ज़िम्मेदारी

जिले में डीजल-पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की संख्या जिले की जनसंख्या से अधिक है। ज़ाहिर है इनसे निकलने वाला धुआं हवा में प्रदूषण घोल रहा है जबकि जिले व शहर में लगी फैक्ट्रियों आदि का धुआं भी प्रदूषण बढ़ाने का काम कर रहा है। जिस पर न तो प्रशासन की नजर है और  न ही किसी संबंधित विभाग की।

धार। शहर जिले में भले ही हर साल वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा हो, लेकिन इनसे होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए जिम्मेदार विभाग के पास कोई उपाय नहीं है।

जिले में डीजल-पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की संख्या जिले की जनसंख्या से अधिक है। ज़ाहिर है इनसे निकलने वाला धुआं हवा में प्रदूषण घोल रहा है जबकि जिले व शहर में लगी फैक्ट्रियों आदि का धुआं भी प्रदूषण बढ़ाने का काम कर रहा है। जिस पर न तो प्रशासन की नजर है और  न ही किसी संबंधित विभाग की।

परिवहन विभाग द्वारा वाहनों से हो रही प्रदूषण नियंत्रण के लिए शहर में एक चलित प्रदूषण नियंत्रण वाहन चलाए जाने की बात कही जा रही है वहीं ऐसे में प्रदूषण फैलाते वाहन शहर में फर्राटा मारते हुए रोजाना देखे जा सकते हैं। ऐसे में प्रदूषण नियंत्रण करने वाले वाहनों की कार्यप्रणाली भी सवालों में है।

परिवहन विभाग भी करवाई करता भी है तो आम जनता वायु प्रदूषण को लेकर गंभीर नहीं है। यहां परिवहन विभाग कर्रवाई एवं जागरूक कर लोगों को प्रदूषण वाले वाहनों से मना करते हैं लेकिन इसका असर नहीं होता।

जिले में 50 प्रतिशत वाहन डीजल से चल रहे है, जबकि रोजाना 5 हजार से अधिक भारी वाहनों की आवाजाही रोजाना दूसरे शहरों से शहर में हो रही है।  ऐसे में इन वाहनों से निकलना वाला धुआं आम यात्रियों की चिंता बढ़ा रहा है। जबकि धूल के कण और धुआं मिलकर सीधे सांस लेते हुए लोगों के फेफड़े में बैठ रहे हैं। यही वजह है कि यहां दमा और श्वास के रोगियों की संख्या बढ़ रही है वहीं सड़कों पर उड़ती धूल से होने वाला प्रदूषण लोगों की आंखों को कमजोर बना रहा है।

आंखों में लालपन जैसी समस्या रोजाना लोगों को हो रही जिले के अन्य सरकारी और निजी अस्पतालों में इस परेशानी के कारण पहुंचने वालों का आंकड़ा प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ठाकुर बताते हैं कि

सड़कों पर धूल और वाहनों से निकलने वाले धुएं से अपनी आंखों को सुरक्षित रखने के लिए बाइक चलाते समय चश्मों का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा आंखों को साफ और ठंडे पानी से धोना चाहिए ताकि अपनी आंखें में सारी शहद में बनी रहे।

इसके अलावा फिज़ा में जहर खोलने का काम ऐसे वाहनों कर रहे हैं। जिसके फिटनेस टेस्ट कई वर्षों से नहीं हुआ है इन वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं शहर की हवा में धूल पर लोगों की सेहत बिगड़ रहा है।

उल्लेखनीय के शहर व जिले में जांच केंद्रों पर लोग अपने अपने वाहनों के प्रदूषण जांच नहीं करवा रहे हैं। इससे प्रदूषण का पता नहीं चल पा रहा हैं।

जिले में 11 से अधिक केंद्रः  जिले सहित वर्तमान में 11 से अधिक प्रदूषण जांच केंद्र मौजूद हैं वहीं आरटीओ सलाहकार और पर्यावरण के लिए काम करने वाले पर्यावरण संस्था के लोगों द्वारा आए दिन लोगों को जानकारी दी जाती है लेकिन लोग फिर भी वायु प्रदूषण को लेकर जागरूक नहीं हो रहे हैं। वहीं समय-समय पर आरटीओ विभाग द्वारा भी कार्रवाई की जाती है लेकिन यह कार्रवाई अधूरी और बेअसर होती है।

  फैक्ट फाइल

 

प्रदूषण रोकने के लिए जिले भर में प्रदूषण जांच वाहन चल रहे हैं, जिनके द्वारा जांच की जाती है। अब शासन द्वारा प्रदूषण जांच केंद्र हर पेट्रोल पम्प पर उपलब्ध रहेंगे और वाहनों के प्रमाण पत्र सहित अन्य कार्य बिना प्रदूषण जांच रिपोर्ट के जारी होंगे।
ज्ञानेंद्र वेश्य, एआरटीओ, धार

First Published on: January 14, 2021 11:26 PM