जिला पंचायत की राह नहीं आसान, मुकाबला होगा कड़ा क्योंकि हर उम्मीदवार कर रहा जीत का दावा

भाजपा व कांग्रेस ने जारी की अपने-अपने अधिकृत उम्मीदवारों की सूची, कुछ वार्डों के नाम रह गए हैं फिर भी बाकी।

dhar panchayat

धार। इस बार के जिला पंचायत चुनाव में अभी उस तरह की गहमागहमी का माहौल भले ही नजर नहीं आ रहा है। इसके पीछे की मुख्य वजह यह है कि अभी नाम वापसी के बाद मैदान में कौन होगा यह देखना बड़ी बात है।

जिला पंचायत के कई वार्ड ऐसे हैं जहां राजनीतिक घरानों के चेहरे मैदान में हैं या फिर बड़े नाम जो भले सांसद का चुनाव लड़े दिनेश गिरवार हों या विधानसभा का चुनाव लड़ चुके कई उम्मीदवार।

जिले का वार्ड संख्या 14 का चुनाव अभी से ‘हॉट सीट’ बन गया है और मुकाबला रोचक होने से सभी की नजरें इधर हो गई हैं। लंबे समय बाद होने वाले जिला पंचायत चुनाव के लिए भाजपा व कांग्रेस दोनों ने ही कमर कस ली है।

हर नेता चुनावी रंग में रंगे हुए हैं, हर कोई अपने-अपने समर्थकों को पार्टी से अधिकृत करवाने में लगा है। वहीं कई जगह गुटबाजी के चलते स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में कई नेता चुनाव लड़ने का मन बनाए हुए हैं, ऐसे में अभी किसी भी प्रकार के परिणाम तक पहुंचना जल्दबाजी होगी।

दोनों ही पार्टियां अधिक से अधिक जिला पंचायत सदस्यों को जीत दिलवा कर जिला पंचायत कब्जे में लेने का प्रयास कर रही हैं क्योकि जिला पंचायत से ही चुनावी सीजन शुरू हो रहा है। जिला पंचायत चुनाव के बाद नगरीय निकाय, मंडी चुनाव, विधानसभा और लोकसभा की राह तय होगी।

जिला पंचायत अनारक्षित होने से चुनाव हुआ दिलचस्प –

इस बार जिला पंचायत अनारक्षित होने से हर किसी की नजर जिला पंचायत अध्यक्ष पर टिकी है। हर कोई जिला पंचायत सदस्य का उम्मीदवार अध्यक्ष बनने का सपना देख रहा है। अभी फॉर्म जमा करने के बाद अपने आप को पार्टी समर्थित बनने के लिए अपने-अपने आकाओं की शरण में जा रहे हैं।

भाजपा में विक्रम वर्मा, राजवर्धनसिंह दत्तीगांव, राजीव यादव, सांसद दरबार सिंह आर्य जैसे नेताओं के पास कार्यकर्ताओं की भीड़ देखी जा रही है। वहीं कांग्रेस में बालमुकुंद सिंह गौतम, कुलदीप बुंदेला जैसे नेताओं के पास प्रत्याशी कांग्रेस समर्थित बनने के लिए प्रयासरत हैं क्योकि पार्टी समर्थित बनने के बाद अध्यक्ष बनने की राह आसान हो जाएगी।

दोनों पार्टियों के अलग-अलग मुद्दे –

जिला पंचायत वैसे तो पूर्ण रूप से स्वतंत्र चुनाव होते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के चुनाव होने से ग्रामीण जनता को कैसे पार्टियों से जोड़ा जाए इसका ध्यान दोनों ही पार्टी रख रही हैं।

मुद्दों पर नजर डाली जाए तो कांग्रेस महंगाई, बिजली बिल, पेट्रोल-डीजल मूल्यवृद्धि, बेरोजगारी, किसानों की उपज के उचित मूल्य सहित अनेक मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी।

वहीं भाजपा सरकार की योजनाओं को जनकल्याणकारी बताकर, 70 वर्षों के कांग्रेस नीतियों को जनविरोधी बताकर चुनाव लड़ रही है। दोनों ही किसी भी तरह जनता को रिझाकर चुनावों में जीत हासिल करना चाहती हैं।

निर्दलीय बदलेंगे समीकरण –

जिला पंचायत चुनाव में कई प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। ऐसे में कई प्रत्याशियों को पार्टी समर्थित उम्मीदवार बनाया गया है, लेकिन कुछ बचे उम्मीदवार जो निर्दलीय ( पार्टी समर्थित नहीं ) होकर चुनाव जीतकर आएंगे, वे जिला पंचायत के समीकरण को गडबडाएंगे। दोनों ही पार्टियां उनके इर्द-गिर्द घूमती नजर आएंगी।

तिरला की दोनों सीट पर खींचतान –

तिरला में इस बार सदस्य की दो सीट है। वार्ड-11 के लिए विजेंद्र देवदा तिरला व दिनेश डावर अकोदा ने फॉर्म डाले हैं। रायशुमारी के बाद विजेंद्र का नाम फाइनल था पर ऐनवक्त पर रुक गया।

दूसरी तरफ वार्ड-12 सीट पर पूर्व जिला महामंत्री रमेश जूनापानी की बहू सुनीता राकेश अमलियार ने फॉर्म डालकर टिकट मांगा है जबकि पूर्व जिपं अध्यक्ष मालती पटेल ने भी फॉर्म डाला है।

पटेल की दावेदारी का विरोध ज्यादा है। वहीं जहां एक ओर राष्ट्रीय अध्यक्ष परिवारवाद बंद करने की बात करते हैं वही ऐसा ही नजारा जिले के तिरला क्षेत्र में देखने को मिल रहा है।

सूत्रों के अनुसार पटेल परिवार में पहले ससुर लक्ष्मण पटेल, फिर बहू मालती पटेल को मौका मिल चुका है। तीसरी बार फिर दावेदारी है जबकि जूनापानी को हर बार समझाइश देकर बैठना पड़ा है।

इस कारण इस बार खींचतान ज्यादा है। मालती पटेल जिला पंचायत अध्यक्ष 7 साल के कार्यकाल में कोई बड़ा काम या कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है जो भाजपा जनता के बीच जाकर वोट मांग सके।

कांग्रेस से इन नामों की सहमति –

भाजपा अधिकृत उम्मीदवार –

First Published on: June 10, 2022 12:40 PM