रामकिशोर शुक्ला का दबदबा कायम, नवीन तिवारी बने महूगांव नपा के अध्यक्ष

महू विधानसभा के पिछले चुनावों में शुक्ला की ही महू गांव क्षेत्र से भाजपा को सबसे बड़ी बढ़त मिली है जिसके चलते कैलाश विजयवर्गीय से लेकर उषा ठाकुर तक यहां आसानी से जीत दर्ज कर पाए।

इंदौर। महू तहसील की महू गांव नगर परिषद में फिर एक बार भाजपा की सरकार बनी है और यहां लगातार छठवीं बार यहां के वरिष्ठ नेता राम किशोर शुक्ला का वर्चस्व स्थापित हुआ है। शुक्रवार को यहां हुए अध्यक्ष पद के चुनावों में शुक्ला के समर्थक उम्मीदवार नवीन तिवारी को निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया। इससे पहले तक यहां भाजपा बनाम भाजपा के बीच ही अध्यक्ष की लड़ाई थी लेकिन चुनावों के पहले तस्वीर बदल गई।

राम किशोर शुक्ला की खिलाफत कर रहे गुट की स्वर्णा दुबे अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी कर रही थी लेकिन उन्होंने अपने पक्ष में माहौल को न भांपते हुए अपना पर्चा वापस ले लिया और नवीन तिवारी अध्यक्ष चुने गए। दिलचस्प ये रहा कि इस बार यहां कांग्रेस की ओर से भी किसी ने अध्यक्ष पद के लिए भी नहीं भरा। दो पार्षदों में से जिस एक ने पर्चा भरा था उनके प्रस्तावक ने भी हाथ खींच लिए। ऐसे में तिवारी निर्विरोध अध्यक्ष बन गए।

महूगांव नगर परिषद अध्यक्ष पद रामकिशोर शुक्ला के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ था। वही उनकी विरोधी माने जाने वाले डॉ प्रशांत दुबे अपनी पत्नी स्वर्णा दुबे के लिए लॉबिंग कर रहे थे। खबरों की मानें तो प्रशांत दुबे अपने इस काम में काफी आगे निकल चुके थे और वे किसी भी कीमत पर अध्यक्ष पद अपनी पत्नी के नाम करना चाहते थे। वहीं शुक्ला को ये गवारा नहीं था। लिहाज़ा उन्होंने भी अपनी तैयारी पूरी कर रखी थी। जुलाई के महीने में वे अपने समर्थक पार्षदों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मिलने पहुंच गए और इसके बाद अपने साथियों को लेकर सैर सपाटा करते रहे। यह सब इसलिए था कि पार्षद उनके पक्ष में बने रहें।

स्थानीय विधायक और मंत्री उषा ठाकुर शुक्ला के समर्थक नवीन तिवारी के नाम का ही मैंडेट लेकर आईं।  इसके बावजूद स्वर्णा दुबे ने अध्यक्ष पद के लिए अपना आवेदन भर दिया। इसकी खबर लगते ही उषा ठाकुर ने नवीन तिवारी और दूसरे सदस्यों को बंद कमरे में 10 मिनट में मामला सुलझाने का समय दिया। इसके बाद स्वर्णा दुबे ने अपना नाम वापस ले लिया।

हालांकि राम किशोर शुक्ला को अंदाजा था कि पार्टी के बड़े नेता उन्हें कमजोर करने के लिए काम कर रहे हैं और ऐसे में मामला उनके खिलाफ भी जा सकता है। इसकी वजह भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और अब राज्यसभा की सदस्य बन चुकी कविता पाटीदार रही जिन्होंने शुक्ला के वर्चस्व का भरपूर विरोध किया लेकिन ज्यादातर पार्षद राम किशोर शुक्ला गुट के थे ऐसे में मैंडेट अगर तिवारी के पक्ष में नहीं आता तो उसे चुनौती मिलना तय था और पार्टी यहां मानपुर की तरह अपनी फजीहत नहीं करवाना चाहती थी ऐसे में नेताओं ने शुक्ला की बात मानी।

इस बात में कोई दो राय नहीं की राम किशोर शुक्ला का वर्चस्व उनके इलाकों में लगातार बढ़ता रहा है और इसके चलते वहां दूसरे नेता पनप नहीं पाए। ऐसे में कई नेता उनसे अपना व्यक्तिगत विरोध भी जताते रहे हैं।

लेकिन यह भी सच है कि महू विधानसभा के पिछले चुनावों में शुक्ला की ही महू गांव क्षेत्र से भाजपा को सबसे बड़ी बढ़त मिली है जिसके चलते कैलाश विजयवर्गीय से लेकर उषा ठाकुर तक यहां आसानी से जीत दर्ज कर पाए। ऐसे में प्रशांत स्वर्णा दुबे को अध्यक्ष बनाना कुछ नेताओं को खुश करने वाला तो हो सकता था लेकिन अगला चुनाव जीतने के लिए यह ठीक नहीं था।

First Published on: August 12, 2022 12:56 PM