एक साल बाद भी परिवार ने नहीं छोड़ी हिमांशु के वापस आने की आस

रोज सुबह बेटे के वापस घर आने के अहसास से खुलती है मां की नींद। बहनों को राखी बंधवाने वाली कलाई का इंतजार है।

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महू। एक मां को एक साल हो गया बेटे का इंतजार करते हुए। अभी भी आंखें दरवाजे पर लगी रहती हैं कि कहीं वह आ जाएं तो गले लगा लूं। परिवार वाले आज तक समझ नहीं पाए हैं कि वह जिंदा है भी या नहीं। वे बस यही कामना करते हैं कि वो जिस हाल में हो बस वापस आ जाए।

यह कहानी है सिमरोल रोड स्थित गिरनार कॉलोनी निवासी हिमांशु कदम के माता पिता और उसके बहनों की। हिमांशु एक साल पूर्व आज ही के दिन 21 अगस्त को किशनगंज सातेर रपट पर पानी के तेज बहाव में बह गया था जिसका आज एक साल बाद भी पता नहीं चला।

हिमांशु ने जल्दी घर पहुंचने की चाह में रपट पर पानी के तेज बहाव के बाद भी वाहन निकालने का प्रयास किया और बीच रपट पर पहुंचते ही संतुलन खो बैठा और बह गया। हिमांशु को वहां मौजूद कई लोगों ने रोका भी था, लेकिन वह नहीं माना।

बताया जाता है कि हिमांशु को बहते देख एक महिला ने अपनी साड़ी तक उतार कर उसे पकड़ने के लिए फेंकी थी ताकि उसको बचाया जा सके, लेकिन वह सफल नहीं हुई।

दूसरे दिन हिमांशु की मोटरसाइकिल और लैपटाप बैग जरूर कुछ दूरी पर मिल गए लेकिन हिमांशु का कोई पता नहीं चल पाया। इसके बाद लगातार नौ दिन तक पूरी नदी तथा इसके आसपास के क्षेत्र को छान दिया गया लेकिन हिमांशु का कोई पता नहीं चला।

पिता कमल कदम गोताखोरों के साथ कई दिनों तक नदी में बेटे को ढूंढते रहे। बाद में तो गोताखोर भी हिम्मत हार कर बैठ गए। पूर्व एसडीएम अभिलाष मिश्रा ने भी काफी प्रयास किए। घटनास्थल से लेकर काफी दूर तक उन्होंने पैदल ही नदी में हिमांशु को तलाश किया।

अधिकारियों और कर्मचारियों को उसे ढूंढने के निर्देश भी दिए। यहां तक कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी तलाश करवाया, लेकिन कोई पता नहीं चला।

अभी है उम्मीद है उसके आने की –

हिमांशु कदम मात्र 28 साल का था तथा एकलौता बेटा व दो बहनों का एक भाई था। 22 अगस्त को हिमांशु की मोटरसाइकिल मिली थी। मां रंजना कदम तथा दोनों बहनों मोनिका और भाग्यश्री को आज भी उम्मीद है कि हिमांशु आएगा।

उनका कहना है उसके साथ कुछ अनहोनी होती तो कभी तो मिलता। मां रंजना कदम को जब भी बेटे की याद आती है तो आंसू भर आते हैं। उनकी आंख का पानी बेटे के इंतजार में सूखने का नाम नहीं ले रहा। वे भगवान की पूजा और प्रार्थना करते नहीं थक रहीं। उनका बस यही कहना है हिमांशु जैसा भी हो, बस वापस आ जाए।

मां रंजना का कहना है कि

कुछ माह पूर्व उनके पैर का ऑपरेशन हुआ जो बेटा हिमांशु करवाने वाला था। घर भी उसने ही बनवाया था जिसकी किश्त भी वही भर रहा था। अब तो बस जी रहे हैं।

यही हाल बहनों का है। वे कहती हैं कि आज भाई को लापता हुए एक साल हो गया है और कल राखी है, लेकिन किसकी कलाई पर वे राखी बांधेगीं?

रपट के वही हाल –

जिस रपट से हिमांशु बहा था, उसके आज भी वही हाल हैं। लोक निर्माण विभाग ने उसे जरूर मरम्मत करवा दिया है, लेकिन बचाव की कोई व्यवस्था या चेतावनी के बोर्ड तक नहीं लगाए गए हैं। दोनों ओर पिलर जरूर नए बना दिए गए हैं, लेकिन किसी भी दुर्घटना को रोकने के लिए वे नाकाफी हैं।

First Published on: August 21, 2021 6:29 PM