मनीष गए तो ईलैया राजा आए, सब कुछ शिव इच्छा

प्रमुख सचिव स्तर पर फेरबदल में कई काबिल अफसर उनकी अक्षमतानुसार विभाग नहीं पा सके

इंदौर। प्रदेश में आने वाले समय में चुनाव हैं, इससे पहले मुख्यसचिव भी बदले जाने हैं लेकिन इससे भी पहले बदले गए हैं अफसर। मप्र के सबसे महत्वपूर्ण जिले इंदौर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा पदस्थ किये गए मनीष सिंह अब रवाना हो रहे हैं। कहा जाता है कि उन्हें सीएम का सबसे ज्यादा सर्मथन प्राप्त है। जिसके चलते इस समय वे प्रदेश के सबसे ताकतवर नौकरशाहों में शुमार हैं। अब मनीष सिंह मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की जिम्मेदारी संभालेंगे और इंदौर के नए कलेक्टर के रुप में सीएम शिवराज की ही पसंद के अफसर टी इलैयाराजा होंगे। इलैयाराजा जबलपुर से आ रहे हैं।

मुख्यसचिव इकबाल सिंह बैस का कार्यकाल बढ़ाने की चर्चा है लेकिन इसमें कुछ दिक्कत भी हो सकती है ऐसे में सरकार नए अफसर के लिए तैयारी कर रही है। बताया जाता है कि अगले महीने मुख्य सचिव के रुप में अनुराग जैन कुर्सी पर बैठ सकते हैं। ऐसे में अब जैन और बैस दोनों की ही पसंद का ख्याल रखा जा रहा है क्योंकि दोनों ही अपने अगले कार्यकाल की ओर देख रहे हैं और दोनों के लिए ही यह प्रशासनिक सपोर्ट की जरुरत है। ऐसे में अफसरों की तैनाती इस तरह की जा रही है कि कोई नाराज़ न हो ताकि मुख्यमंत्री नाराज़ न हों।

प्रमुख सचिव से कलेक्टर स्तर पर फेरबदल काफी कुछ राजनैतिक एजेंडे के हिसाब से है। इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह को चुनावी मेट्रो ट्रेन का बड़ा दायित्व सौंपा है। शिवराज सरकार का मानना है कि इन्दौर भोपाल की जनता के लिए मेट्रो ट्रेन अजूबा है। ट्रेन का टोटका बीजेपी को चुनावी जीत की प्रतिकूलता से बचा ले जाएगा। मालवा निमाड़ के लोगों के लिए भी यह अजूबा काम कर जाएगा।

इंदौर कलेक्टर के लिए भी टी इलैया का नाम चौकाने वाला है। उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह के इंदौर आने की चर्चाएं खूब थी पर मामला दक्षिण भारत पर जाकर टिका। शहर के बड़े प्रशासनिक , व्यवसायिक और राजनैतिक खिलाडिय़ों के लिए अपरिचित कलेक्टर का आना एक तरह से अच्छा भी है।

प्रमुख सचिव स्तर पर फेरबदल में कई काबिल अफसर उनकी अक्षमतानुसार विभाग नहीं पा सके। उद्योग विभाग में चुनावी एजेंडे की इन्वेस्टर समिट और रोजगार सृजन के काम में जुटे संजय शुक्ला को समिट से पहले विभाग से मुक्त करना कुछ ऐसा ही है जो प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय है। शुक्ला ने ही नगरीय प्रशासन विभाग में रहते मेट्रो ट्रेन और अन्य बड़े प्रोजेक्ट की नींव रखी थी। उनके फिर से इसी विभाग में आने की संभावना थी। वहीं ऐसे कई अफसरों के फेरबदल में अंदुरूनी कहानियां हैं जो देर-सबेर असर जरुर दिखाने वाली हैं।

मुख्यमंत्री की पसंद और करीबी अफसर ही इंदौर के कलेक्टर बन पाते है। इलैया इसी श्रेणी में बताए जाते है। जबलपुर में उनकी पोस्टिंग भी मुख्यमंत्री की पसंद पर हुई थी। इलैया के कारण मनोज पुष्प को जबलपुर का प्रभार मिलते मिलते रह गया था। कहा जा रहा है देवास कलेक्टर चंद्रमोली शुक्ला अच्छा काम कर रहे थे लेकिन स्थानीय बीजेपी की राजनीति से वे फिर से कलेक्टरी नहीं पा सके।

 

First Published on: November 8, 2022 12:57 PM