गुमनामी की जिंदगी जी रहे आर्केस्ट्रा स्टार प्रभात चटर्जी अब नहीं रहेंगे बेसहारा

अब तक दो जून की रोटी को मोहताज इंदौर शहर के पहले आर्केस्ट्रा 'चटर्जी ग्रुप' के संस्थापक और अकॉर्डियन प्लेयर प्रभात चटर्जी को अब सामाजिक न्याय विभाग के आश्रय स्थल में रखा जाएगा।

prabhat-chaterjee-sdm

इंदौर। इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह की संवेदनशीलता से एक कलाकार की जिंदगी फिर से संवर रही है। जिला कलेक्टर सिंह ने स्थानीय अखबार नईदुनिया में छपी खबर के बाद स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा था कि कलाकार प्रभात चटर्जी की सुध प्रशासन लेगा।

इसी के आलोक में अब तक दो जून की रोटी को मोहताज इंदौर शहर के पहले आर्केस्ट्रा ‘चटर्जी ग्रुप’ के संस्थापक और अकॉर्डियन प्लेयर प्रभात चटर्जी को अब सामाजिक न्याय विभाग के आश्रय स्थल में रखा जाएगा।

इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देश पर मंगलवार को सामाजिक न्याय विभाग की संयुक्त संचालक शुचिता तिर्की ढूंढ़ते-ढूंढ़ते प्रभात चटर्जी के बंगाली चौराहा स्थित उनके घर तक पहुंच ही गईं। जिसके बाद उन्हें सामाजिक न्याय विभाग के आश्रय स्थल तक ले आया गया।

इससे पहले कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा था कि इंदौर देवी अहिल्या की नगरी है। यहां न कोई अनाथ रहता है और न ही कोई भूखा सोता है। हम इस कलाकार की ज़िंदगी फिर से संवारेंगे और उनकी बेरंग ज़िंदगी में फिर से रंग भरने की कोशिश करेंगे।

घर पर इस हालत में मिले थे कलाकार प्रभात चटर्जी।

अब उम्मीद की जा सकती है कि प्रभात जी का जीवन अब बेसहारा नहीं रहेगा। सोशल मीडिया व स्थानीय मीडिया की रिपोर्टिंग से पता चलता है कि प्रभात जी की आर्केस्ट्रा का कितना क्रेज था। उनके चाहने वाले उनसे मिलने के लिए तरसते थे और आर्केस्ट्रा के लिए उन्हें एंगेज करना तो एक उपलब्धि होती थी।

इंदौर शहर के पहले आर्केस्ट्रा ‘चटर्जी ग्रुप’ के संस्थापक और अकॉर्डियन प्लेयर प्रभात चटर्जी के साज की आवाज 1975 से तीन दशक तक इंदौर के साथ-साथ देश भी सुनता रहा है।

First Published on: December 22, 2020 6:01 PM