झांझनखेड़ा में धनतेरस से एक दिन पहले मिले थे मुगलकालीन सिक्के, अब नींद से जागे अधिकारी

सांईखेड़ा ब्लाक के ग्राम झांझनखेड़ा में धनतेरस के एक दिन पहले गोशाला निर्माण के लिए मिट्टी की खोदाई में लगभग 30 मुगलकालीन सिक्के मिले हैं। ग्रामीणों द्वारा इन सिक्कों को छिपा लिए जाने के बाद सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से खबर फैली तो अधिकारी नींद से जागे हैं।

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नरसिंहपुर। सांईखेड़ा ब्लाक के ग्राम झांझनखेड़ा में धनतेरस के एक दिन पहले गोशाला निर्माण के लिए मिट्टी की खोदाई में लगभग 30 मुगलकालीन सिक्के मिले हैं।

ग्रामीणों द्वारा इन सिक्कों को छिपा लिए जाने के बाद सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से खबर फैली तो अधिकारी नींद से जागे हैं।

गांव में मुगलकालीन सिक्कों के मिलने की खबर लगने के बाद गुरुवार को एसडीएम आरएस राजपूत, तहसीलदार सहित पुलिस अधिकारियों की टीम ने गांव का दौरा किया।

इन अधिकारियों ने उन लोगों की जानकारी जुटाने की कोशिश की जिन्हें सिक्के मिले हैं और उन्होंने सिक्कों को अपने पास छिपाया हुआ है।

बताया जा रहा है कि अधिकारियों ने निरीक्षण के दौरान दो बच्चों सहित एक ग्रामीण से कुछ सिक्के बरामद कर लिए हैं जिनकी संख्या छह बताई जा रही है।

वहीं वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर पंचायत ने भी गांव में मुनादी कराई है कि जिनको भी मुगलकालीन सिक्के मिले हैं वह तहसील जाकर जमा करें अन्यथा उनके खिलाफ एफआईआर की जाएगी।

पुरातात्विक मामलों के जानकार आईआईटी, गांधीनगर के डॉ. तोसाबंता प्रधान ने बताया कि

यह सिक्के करीब सवा 200 साल पुरानी है जो 1785 से 1806 के दौरान मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय के शासनकाल की है। सिक्के पर सूरजमुखी का निशान है और इस पर जो इबारत लिखी गई है उसका अर्थ है सिक्का मुबारक बादशाह गाजी। साथ ही सिक्के पर जो डॉट बने हैं वह सिक्का कहां बने हैं यह दर्शाता है। शाह आलम के शासनकाल के दौरान चार तरह की मुद्राएं चलन में आई थीं। यह सिक्का चांदी का व करीब 11.2 ग्राम वजन का है।

First Published on: November 19, 2020 5:09 PM