International Day of Families: एकल परिवार के बच्चे जिद्दी और अवसादग्रस्त वहीं संयुक्त परिवार में धैर्यवान और संघर्षशील

देशगांव के द्वारा तीस एकल और तीस संयुक्त परिवार पर किया गया एक सर्वे।

नरसिंहपुर। संयुक्त परिवार से विघटित हो रहे एकल परिवार में दंपत्ति आत्म केंद्रित और जल्द तनावग्रस्त हो रहे हैं। एकल परिवार के बच्चे जिद्दी और अवसाद ग्रस्त हो रहे हैं। यह आंकलन देशगांव के द्वारा संयुक्त और एकल परिवार के शोध सर्वेक्षण में पाया गया है। संयुक्त परिवार जिसमें दादा, दादी ,चाचा – चाची, बुआ आदि शामिल हैं। उन परिवार के बच्चे सामाजिक शिष्टाचार में निपुण दिखाई दिए। पति-पत्नी का दांपत्य जीवन संतोषप्रद पाया गया।

वहीं घर के बड़े बुजुर्गों के बीच रहने वाले पारिवारिक सदस्यों के मध्य सामंजस्य और एक दूसरे से मतभेद रहने के बावजूद कटुता और भेदभाव में कमी पाई गई। उनमें एक दूसरे के प्रति तालमेल बनाए रखने का गुण पाया गया। ऐसे दंपत्ति के बच्चे खानपान, बातचीत, और समस्या के विषय एक दूसरे से साझा करते और परस्पर सम्मान करते देखे गए । सहानुभूति और संवेदना के गुण एकल परिवार की बच्चों की अपेक्षा संयुक्त परिवार से जुड़े बच्चों में ज्यादा देखने को मिला।

विश्व परिवार दिवस 15 मई की परिप्रेक्ष्य में किए गए शोध में पाया गया कि की घरों में इकट्ठे रहने वाले सदस्यों के बच्चों में पारिवारिक मूल्य जल्द ही आत्मसात कर लिया जाता है अच्छे और बुरे समय में उनकी बराबर भागीदारी उनमें आत्मविश्वास और हौसला बढ़ाती है।

शोध में यह भी पाया गया कि कई परिवार संयुक्त इसलिए हैं कि खेती-बाड़ी उनसे बंधी है या यह कहिए कि संयुक्त परिवार को जोड़ने के लिए खेती-बाड़ी एक बड़ा कारक है। नरसिंहपुर, गोटेगांव, करेली और गाडरवारा के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में किए गए शोध सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि एकल परिवार के बच्चों में धैर्य, स्वीकार्यता ,संघर्ष शीलता संवेदनशीलता ,मेलजोल का गुण कम देखने को मिला है।

एकल परिवार के लोगों का दांपत्य जीवन अपेक्षाकृत असंतोषप्रद और संकटग्रस्त ज्यादा है। नौकरी पेशा होने के बावजूद पति-पत्नी में विवाद उनके बच्चों के लिए जिद्दी और असहिष्णु बना रहा है। संयुक्त परिवार से एकल परिवार में आए सदस्यों ने बताया कि अब उनका जीवन तनावपूर्ण ज्यादा है। एक सदस्य ने बताया कि संयुक्त इकाई में यह तनाव सदस्यों के साथ इतना पता नहीं चलता है।

शोध में लिए गए 60 परिवारः शोध सर्वेक्षण में 4 इलाकों के समान संख्या में 60 परिवार लिए गए।  जिनमें 30 -30 परिवार संयुक्त और एकल परिवार शामिल किए गए। ऐसे परिवारों का रहन सहन, परिवार के सदस्यों की संख्या और जीविकोपार्जन तथा बच्चों की लाइफ स्टाइल पर आकलन किया गया। शोध के लिए अवलोकन पद्धति अपनाई गई। रिसर्च मेथाडोलॉजी के आधार पर प्रश्नावली के जरिए 8 दिनों में परिणाम एकत्रित किए गए। परिणामों के विश्लेषण में विभिन्न समंक पाए गए। समाज के प्रतिनिधि बतौर कुछ खास लोगों से चर्चा की गई।

शोध के परिणामों पर एक नजरः 

 

जानिये अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के बारे मेंः परिवारों के महत्व और समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। यह दुनिया भर में परिवारों को प्रभावित करने वाले सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का दिन है। भोजन साझा करने से लेकर यादें बनाने तक, परिवार समाज की नींव होते हैं। यह दिन सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों को परिवारों के योगदान को पहचानने और परिवार-उन्मुख नीतियों और कार्यक्रमों को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है जो दुनिया भर के समुदायों में परिवारों की भलाई का समर्थन करते हैं। इतिहास, और महत्व से लेकर विषय और उत्सव तक, यहाँ वह सब कुछ है जो आपको इस दिन के बारे में जानने की आवश्यकता है।

इतिहासः परिवारों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और समाज में परिवारों की भूमिका को बढ़ावा देने के लिए 1993 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की स्थापना की गई थी। यह दिन हर साल 15 मई को मनाया जाता है और परिवारों द्वारा साझा किए जाने वाले अनूठे बंधन और प्यार का जश्न मनाने के अवसर के रूप में देखा जाता है। वर्षों से, यह दिन गरीबी, असमानता और सामाजिक बहिष्कार जैसे परिवारों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को संबोधित करने का एक मंच बन गया है।

अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस 2023 थीम: इस खास दिन का विषय या कहें थीम हर साल बदलती है। यह थीम पारिवारिक जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में होती है। इस बार साल  2023 में अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की थीम ‘जनसांख्यिकीय रुझान और परिवार’ है। वहीं पिछले वर्ष की थीम ‘परिवार और शहरीकरण’ थी।

First Published on: May 15, 2023 1:11 AM