कृषि कानूनों के खिलाफ इंदौर में भी हुआ प्रदर्शन, संभागायुक्त कार्यालय में सौंपा गया राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन

समिति ने अपने ज्ञापन में कहा है कि, ये अध्यादेश अलोकतांत्रिक हैं और कोविड-19 तथा राष्ट्रीय लाॅकडाउन के आवरण में अमल किये गए हैं। ये किसान विरोधी हैं। इनसे फसल के दाम घट जाएंगे और बीज सुरक्षा समाप्त हो जाएगी। इससे उपभोक्ताओं के खाने के दाम बढ़ जाएंगे। खाद्य सुरक्षा तथा सरकारी हस्तक्षेप की सम्भावना समाप्त हो जाएगी। ये अध्यादेश पूरी तरह भारत में खाने तथा खेती व्यवस्था में कॉरपोरेट नियंत्रण को बढ़ावा देते हैं और उनके जमाखोरी व कालाबाजारी को बढ़ावा देंगे तथा किसानों का शोषण बढ़ाएंगे। किसानों को वन नेशन वन मार्केट नहीं वन नेशन वन एमएसपी चाहिए।

केंद्र के  नये कृषि बिल के खिलाफ 500 अधिक किसान उन यूनियनों के आह्वान पर लाखों किसानों का ‘दिल्ली चलो’ अभियान के आगे अंततः मोदी सरकार को झुकना पड़ा और किसानों को दिल्ली में प्रवेश और निरंकारी मैदान पर प्रदर्शन करने की इजाजत देने पर मजबूर होना पड़ा। यह किसानों के लिए एक बड़ी जीत है। जो किसान और समर्थक इस  दिल्ली नहीं आ सकें वे अपने-अपने क्षेत्र में किसानों के पक्ष में  प्रदर्शन कर अपना समर्थन जाहिर कर रहे हैं। इसी क्रम में मध्य प्रदेश के इंदौर में ‘किसान संघर्ष समिति’ और ‘किसान खेत मजदूर संगठन’  के बैनर तले  किसानों ने  प्रदर्शन किया और  ‘दिल्ली चलो’ आन्दोलन  के प्रति समर्थन और एकजुटता का प्रदर्शन किया।  किसान संघर्ष समिति ने इंदौर में संभागायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। 

आज के प्रदर्शन के बारे में समिति द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि, देशभर के किसानों पर हो रहे दमन और केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों सहित बिजली बिल 2020 के विरोध में इंदौर में भी किसान संघर्ष समिति और किसान खेत मजदूर संगठन के पदाधिकारियों के नेतृत्व में संभागायुक्त कार्यालय पर प्रभावी प्रदर्शन हुआ तथा राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया।

गौरतलब है कि पिछले 2 दिनों से देशभर के किसान दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। उन्हें दिल्ली की सीमाओं पर रोक लिया गया है तथा हजारों किसानों की गिरफ्तारी की गई है। किसान संघर्ष समन्वय समिति जो देश के 500 से ज्यादा किसान संगठनों का संगठन है उसके आव्हान पर देशभर के किसान दिल्ली पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें हरियाणा उत्तर प्रदेश सहित केंद्र सरकार के निर्देश पर रोका जा रहा है और उन पर दमन किया जा रहा है। इसके खिलाफ देशभर के किसानों में आक्रोश है आज इंदौर में भी किसान संघर्ष समिति और किसान खेत मजदूर संगठन के आव्हान पर बड़ी संख्या में राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एकत्रित होकर इंदौर के संभाग आयुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन का नेतृत्व रामस्वरूप मंत्री, प्रमोद नामदेव ,एसके दुबे ,रूद्र पाल यादव, सोनू शर्मा, अजय यादव ,जयप्रकाश गुगरी और राजेंद्र अटल ने किया। राष्ट्रपति के नाम संभागायुक्त को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि सरकार ने एक ओर तीन नये अध्यादेश पारित किये हैं जो ग्रामांचल में तमाम किसानी की व्यवस्था को, खाद्यान्न की खरीद, परिवहन, भण्डारण, प्रसंस्करण, बिक्री  यानी तमाम खाने की श्रंखला को ही बड़ी कम्पनियों के हवाले कर देगी और किसानों के साथ छोटै दुकानदारों तथा छोटे व्यवससियों को बरबाद कर देगी। इससे विदेशी व घरेलू कारपोरेट तो मालामाल हो जाएंगे, पर देश के सभी मेहनतकश, विशेषकर किसान नष्ट हो जाएंगे। तीनों  (क) कृषि उपज, वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020; (ख) मूल्य आश्वासन पर (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश 2020; (ग) आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) 2020 को वापस लिया जाना चाहिए और इन्हें कानून नहीं बनना देना चाहिये।

समिति ने अपने ज्ञापन में कहा है कि, ये अध्यादेश अलोकतांत्रिक हैं और कोविड-19 तथा राष्ट्रीय लाॅकडाउन के आवरण में अमल किये गए हैं। ये किसान विरोधी हैं। इनसे फसल के दाम घट जाएंगे और बीज सुरक्षा समाप्त हो जाएगी। इससे उपभोक्ताओं के खाने के दाम बढ़ जाएंगे। खाद्य सुरक्षा तथा सरकारी हस्तक्षेप की सम्भावना समाप्त हो जाएगी। ये अध्यादेश पूरी तरह भारत में खाने तथा खेती व्यवस्था में कॉरपोरेट नियंत्रण को बढ़ावा देते हैं और उनके जमाखोरी व कालाबाजारी को बढ़ावा देंगे तथा किसानों का शोषण बढ़ाएंगे। किसानों को वन नेशन वन मार्केट नहीं वन नेशन वन एमएसपी चाहिए।

दूसरा बड़ा खतरनाक कदम है बिजली बिल 2020। इस नए कानून में गरीबों, किसानों तथा छोटे लोगों के लिए अब तक दी जा रही बिजली की तमाम सब्सिडी समाप्त हो जाएगी, क्योंकि सरकार का कहना है कि उस अब बड़ी व विदेशी कम्पनियों को निवेश करने के लिए प्रोहत्साहन देना है और एक कदम उसमें उन्हे सस्ती बिजली देना भी है। इस लिए अब सभी लोगों को एक ही दर पर, बिना स्लेब के लगभग 10 रुपये प्रति यूनिट बिजली दी जाएगी। किसानों की सब्सिडी बाद में नकद हस्तांतरित की जाएगी।
केन्द्र सरकार को यह बिल वापस लेना चाहिए कोरोना दौर का किसानों, छोटे दुकानदारों, छोटे व सूक्ष्म उद्यमियों तथा आमजन का बिजली का बिल माफ करना चाहिए। डीबीटी योजना को नहीं अमल करना चाहिए।

ज्ञापन में सभी गिरफ्तार किसान नेताओं की रिहाई की मांग की गई है ,साथ ही संवैधानिक व्यवस्थाओं के खिलाफ सरकार द्वारा किसानों को दिल्ली जाने से रोके जाने वह भी असंवैधानिक बताते हुए इन सरकारों की निंदा की गई।

First Published on: November 27, 2020 5:39 PM