कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा किसानों को दी गई ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया के छिड़काव की जानकारी

nano drone technology

धार। क्षेत्र के किसानों को उन्नत खेती के बारे में व किसानों को फसलों में किस अवस्था में किस तरह से दवाइयों व पौधों को स्वस्थ रखने के लिए नए तरीकों से जानकारी दी गई।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, भारत सरकार की महत्वाकाक्षी परियोजना “कृषि में ड्रोन तकनीकी के प्रयोग” अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र, धार द्वारा जिले के ग्राम ऊटावद, बायखेड़ा, खामला एवं अन्य ग्रामों के कृषकों के खेतों में ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया एवं अन्य उर्वरकों के प्रयोग का प्रदर्शन किया गया, जिसमें ग्रामों से भारी संख्या में कृषकों ने उन्नत तकनीकी को देखने एवं समझने के लिए भाग लिया।

केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. केपी असाटी ने बताया कि

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारत सरकार की महत्वाकाक्षी परियोजना “कृषि में ड्रोन तकनीकी के प्रयोग” अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र, धार द्वारा जिले के विभिन्न विकासखण्डों के ग्रामों में किसान ड्रोन के माध्यम से कृषकों के खेतों से कीटनाशक- उर्वरकों के छिड़काव का प्रदर्शन किया जा रहा है, जिससे जिले के कृषक कृषि के क्षेत्र की इस उन्नत तकनीकी को समझ एवं अपनाकर कम लागत में अधिक आय अर्जित कर सकें। इन प्रदर्शनों में किसान भाइयों के बेटे-बेटियों को भी शामिल किया जा रहा है, ताकि वे इस तकनीकी को समझ कर स्वयं ड्रोन पायलट का लाइसेंस लेकर रोजगार प्राप्त कर सकें।

धार में उपसंचालक कृषि के पद पर पदस्थ जीएस मोहनिया ने बताया कि

कृषि में नवाचार एवं उन्नत तकनीकी के रूप में ड्रोन से कीटनाशकों एवं उर्वरकों के छिड़काव से कृषि की लागत में कमी एवं सटीक तरीके एवं अत्याधुनिक तकनीकी से उर्वरकों के छिड़काव से फसल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा जिसके परिणाम स्वरूप हमारे किसान भाइयों की आय में वृद्धि होने के साथ-साथ समय की बचत एवं किसानों की मजदूर न मिलने एवं दूर-दराज के खेतों में छिड़काव के लिए लगने वाले अत्याधिक पानी की ढुलाई में कमी से संसाधनों एवं पैसों की बचत होगी।

संगठन के सदस्य वैज्ञानिक डॉ. जीएस गाठिये ने बताया कि

विभिन्न क्षेत्रों की तरह कृषि के क्षेत्र में ड्रोन तकनीकी के प्रयोग की अपार संभावनाएं हैं जिनमें से एक फसल पर कम लागत में कीटनाशक/उर्वरकों के छिड़काव। ड्रोन से कीटनाशक-उर्वरकों के छिड़काव से फसल पर तरल की सही मात्रा का छिड़काव करते हैं, जमीन की सटीक दूरी एवं कवरेज के लिए वास्तविक समय में छिड़काव किया जाता है, जो जीपीएस से समकालिक होता है। परिणामस्वरूप दक्षता में वृद्धि के साथ-साथ रसायनों का संतुलित एवं आवश्यकता अनुरूप छिड़काव किया जाता है, जिससे समय एवं पैसों दोनों बचत होती है एवं तुलनात्मक रूप अधिक दक्षता के साथ छिड़काव किया जाता है। पानी की कम मात्रा एवं स्प्रेयर में नवीन तकनीकी से उर्वरकों की छोटी-छोटी या महीन बूंदों या फुहारों से पत्तियों में उपस्थित स्टेमेटा शीघ्र ही उर्वरकों को शोख लेता है जिससे फसलों में जल्दी वृद्धि होती है एवं पत्तियों में क्लोरोफिल की मात्रा बढ़ती है।

मृदा वैज्ञानिक डॉ. एसएस चौहान ने बताया कि

कृषि विज्ञान केन्द्र (धार) के माध्यम से जिले के चयनित विभिन्न ग्रामों के 625 कृषकों के प्रक्षेत्रों में ड्रोन के माध्यम से उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग का प्रदर्शन किया जाना है, तीन जनवरी को धार विकासखंड के ग्राम ऊटावद, बायखेड़ा, खामला एवं अन्य ग्रामों में लगभग 50 कृषकों के प्रक्षेत्रों पर प्रदर्शन का आयोजन किया गया है जिसमें लगभग 300 से अधिक कृषकों ने भाग लिया। जहां परंपरागत तरीके से छिड़काव से 125 से 150 लीटर पानी की आवश्यकता होती है वहीं ड्रोन से नैनो यूरिया या अन्य तरल उर्वरकों के छिड़काव में मात्र 10 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है।

विकास चौरसिया, इफको जिला प्रबंधक धार ने ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया एवं अन्य नैनो फर्टिलाईजरों के छिड़काव से लाभ के तकनीकी पहलुओं के बारे में किसानों को अवगत कराया एवं ड्रोन कृषि में उपयोग एवं उससे होने वाले अधिक आर्थिक लाभ के संबंध में कृषकों को जागरूक किया। उक्त प्रदर्शन में ग्रामों के किसानों के साथ कृषि विभाग से एके सत्यार्थी, गोविन्द मौर्य, दिलीप जमरे एवं जितेन्द्र नायक उपस्थित रहे।

First Published on: January 4, 2023 2:08 PM