दीपावली 2022: जानिए पांच दिनों के इस विशेष पर्व की शुभ घड़ियां और हमारे पर्व का महत्व

पंडित काशी महराज बता रहे हैं दीपावली के शुभ मुहूर्त और इन पर्वों का महत्व

इंदौर। दीपावली का त्यौहार अब बस आने को ही है। घरों में इसकी तैयारियां लगातार जारी हैं और परंपरा अनुसार इस समय बहुत से व्यापारिक निर्णय भी लिए जाते हैं। दीपावली पर माता लक्ष्मी का पूजन कब करें और खरीदारी के कौन से मुहूर्त में करें इसकी जानकारी होनी भी आवश्यक है। देशगांव पर यह जानकारी आपको दे रहे हैं पंडित काशी महराज पंडित कपिल शर्मा। उनसे जानिए पांच दिवसीय इस पर्व के दौरान पड़ने वाले महत्वपूर्ण मुहूर्त के विषय में।

दीपावली से पहले 18 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र होगा। इस दिन सूर्य कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में यह तुला सूर्य संक्रांति का अवसर भी है। यह समय खरीदी के लिए सबसे अच्छा होता है।

कार्तिक कृष्ण अष्टमी मंगलवार 18 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र में खरीदी करने के सबसे अच्छे मुहूर्त:

धनतेरस

पुष्य नक्षत्र के बाद सबसे अच्छा अवसर धनतेरस का है जो इस बार शनिवार 22 अक्टूबर को है यानी जो लोग पुष्य नक्षत्र में खरीदारी किसी वजह से नहीं कर पाएंगे वे धनतेरस को यह काम कर सकते हैं।

धन तेरस,

काशी महराज के अनुसार धन तेरस यानी द्वादशी संयुक्त त्रयोदशी शाम 6:03 से शुरू होगी।

पूजन एवं खरीदी के मुहूर्त

 

  रूप चतुर्दशी 

5 दिनों के दीपावली के त्यौहार में रूप चतुर्दशी का भी अपना महत्व है। रूप चतुर्दशी का यह त्यौहार नरक चौदस या नर्क चतुर्दशी या नर्का पूजा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन तिल के तेल से अपने शरीर पर मालिश करके, स्नान करने से भगवान कृष्ण रूप और सौन्दर्य प्रदान करते हैं।

मान्यता है कि रूप चौदस के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियां जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है। विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं। शाम को दीपदान की प्रथा है यह दीपदान यमराज के लिए किया जाता है।

काशी महराज के अनुसार 23 अक्टूबर, रविवार त्रयोदशी संयुक्त चतुर्दशी 6:03 से प्रारंभ होगी।

इसके बाद शुरू होगा सबसे महत्वपूर्ण दिन माता लक्ष्मी की आराधना का दिन। भगवान राम के अयोध्या लौटने का दिन जिसे हम दीपावली के रूप में मनाते हैं। दीपावली यानी चतुर्दशी संयुक्त अमावस्या 24 अक्टूबर शाम 5.27 बजे से शुरू होगी।

स्थिर लग्न मुहूर्त

 

 

खंडग्रास (ग्रस्तास्त) सूर्यग्रहण

25 अक्टूबर 2022 मंगलवार अमावस्या युक्त प्रतिपदा। ग्रहण का सूतक ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पूर्व लगेगा याने 25 अक्टूबर की सुबह 4:00 बजे से सूतक लगेगा।

निर्णय सागर पंचांग एवं श्री सिद्ध विजय पंचांग के अनुसार

ग्रहण काल में खाना, पीना,सोना, सूर्य का दर्शन करना निषिद्ध माना गया है ।ग्रहण काल में अपने इष्ट मंत्र ,गुरु मंत्र का जाप अपने गुरु के सानिध्य में देवालय में करें। काशी महराज के अनुसार ग्रहण समाप्ति के बाद यथाशक्ति दान – दक्षिणा याचको में वितरित करें।

श्री गोवर्धन पूजा अन्नकूट महोत्सव

26 अक्टूबर 2020 बुधवार प्रतिपदा संयुक्त द्वितीया

दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। अन्नकूट/गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारंभ हुई। ब्रज क्षेत्र में यह ब्रजवासियों का मुख्य पर्व है। यह संपन्नता चाहने और इसका उत्सव मनाने का त्यौहार है।

 

भाईदूज

द्वितीया संयुक्त तृतीया तिथि को भाई दूज मनाया जाएगा। यह 27 अक्टूबर 2020 गुरुवार को होगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाई दूज पर यमराज अपनी बहन यमुना के बुलाने पर उनके घर भोजन करने के लिए आते हैं। ऐसे में इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और यमुना की पूजा करने का विधान है और ऐसा करने से इनकी कृपा प्राप्त होती है।

काशी महराज के अनुसार उज्जैन, नीमच, जबलपुर के पंचागो में ग्रहण के स्पर्श, मध्य एवं मोक्ष के समय में कुछ मतांतर है। सभी पंचांगो अवलोकन के बाद ही मुहूर्त एवं निष्कर्ष लिखे गए हैं। पूजन और शुभ मुहूर्त की और विस्तृत जानकारी के लिए पाठक उनसे व्यक्तिगत संपर्क (98260 72374) कर सकते हैं।

 

First Published on: October 14, 2022 11:06 AM