भारत में बीते आठ वर्षों में सात से बढ़कर 22 हो गई एम्स की संख्या

देश में एम्स की संख्या बढ़ने से देश में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती मिलेगी। पिछले 8 वर्षों में केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से भारत आज स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहा है।

aiims

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 8 सालों में देश में आधारभूत संरचनाओं के विकास पर विशेष जोर दिया गया है। वो बात चाहे रोड, रेल कनेक्टिविटी की हो या फिर देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव की, इन वर्षों में आम लोगों ने देश में अभूतपूर्व बदलाव देखे हैं।

इसी क्रम में केन्द्रीय मंत्री मांडविया ने ट्वीट कर बताया कि पीएम मोदी के कार्यकाल में एम्स की संख्या सात से बढ़कर 22 हो गई है। आठ साल पहले देश में एम्स की संख्या सिर्फ सात थी। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सुविधाओं का तेजी से विकास हुआ है।

देश में एम्स की संख्या बढ़ने से देश में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती मिलेगी। पिछले 8 वर्षों में केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से भारत आज स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहा है।

भारत आज एशिया में मेडिकल उपकरणों का चौथा बड़ा बाजार बनकर उभरा है। इसके अलावा फार्मास्यूटिकल के क्षेत्र में भारत विश्व का पावर हाउस है। दुनिया की करीब 70 प्रतिशत दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग भारत में ही होती है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की तरफ अग्रसर –

स्वास्थ्य क्षेत्र में केंद्र सरकार की विभिन्न पहलों से देश चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभर रहा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के कई बड़े कदमों का परिणाम है कि आज करोड़ों भारतीयों का इलाज नि:शुल्क किया जा रहा है और सस्ते दामों में सस्ती जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कारवाई जा रही है।

आज हमारा भारत चिकित्सा के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि चिकित्सा उपकरणों के मामले में भी न सिर्फ आत्मनिर्भर बना है, बल्कि अब वह स्वास्थ्य से जुड़ी कई दवा-उपकरण का निर्यात भी करने लगा है।

भारत में चिकित्सा उपकरण उद्योग में 2025 तक $50 बिलियन तक पहुंचने की क्षमता है। इसके अलावा भारत जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद चौथा सबसे बड़ा एशियाई चिकित्सा उपकरणों का बाजार है और शीर्ष 20 वैश्विक में भी शामिल है।

First Published on: March 15, 2023 8:42 AM