विरोध की स्वस्थ परंपरा अब जेएनयू में नहीं चलेगी, हो सकता है जुर्माना और एडमिशन कैंसिल

भोपाल। लोकतंत्र के लिए सबसे ज़रूरी विरोध की परंपरा को निभाने में आगे रहने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विद्यार्थी अब अपने विश्वविद्यालय परिसर में विरोध किया धरना प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे। उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए एक नया नियम लागू कर दिया गया है जिसके तहत उनसे 20 से 30 हजार रु तक के जुर्माने वसूले जाएंगे। यही नहीं इन विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय से निकालने का भी इंतजाम इस नए नियम के तहत किया गया है।

छात्र संगठनों ने इसे एक तुगलकी फरमान बताया है जिसका मकसद लोकतंत्र में विरोध की स्वस्थ परंपरा को विरूपित करना है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों विश्वविद्यालय में गुजरात दंगों में पीएम नरेंद्र मोदी की  भूमिका पर बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की गई थी जिसे लेकर काफी विवाद हुआ था।

जेएनयू के द्वारा जारी किए गए यह नए नियम करीब 10 पन्नों के हैं। ‘जेएनयू के छात्रों के लिए अनुशासन के नियम और उचित आचरण’ में विरोध प्रदर्शन और जालसाजी जैसे विभिन्न कार्यों के लिए सजा निर्धारित की गई है और अनुशासन का उल्लंघन करने संबंधी जांच प्रक्रिया का जिक्र किया गया है।

जेएनयू में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सचिव विकास पटेल ने नए नियमों को ‘तुगलकी फरमान’ करार दिया है। बता दें कि जनवरी में गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर जेएनयू में काफी हंगामा हुआ था। डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग से उठे विवाद में जेएनयू के छात्र संगठनों (एबीवीपी और लेफ्ट) ने एक-दूसरे पर कई आरोप भी लगाए थे।

First Published on: March 2, 2023 11:25 AM