कृषि कानूनों के खिलाफ़ बुलाए जा रहे भारत बंद को सफल बनाने के लिए जुटा रहे सर्मथन, गांवों में हो रहीं सभाएं

इंदौर में भी संयुक्त मोर्चा से जुड़े हुए किसान संगठनों ने देपालपुर व महू तहसील के विभिन्न गांवों, कस्बों , चौपालों पर पहुंच कर नुक्कड़ सभाएं की चौपाल सभा में की।

इंदौर। संयुक्त किसान मोर्चा के आव्हान पर तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ 27 सितंबर को होने वाले भारत बंद को लेकर व्यापक समर्थन जुटाया जा रहा है। इसके लिए मोर्चे से जुड़े लोग गांव-गांव में जाकर बंद के लिए समर्थन जुटा रहे हैं।

इंदौर में भी संयुक्त मोर्चा से जुड़े हुए किसान संगठनों ने देपालपुर व महू तहसील के विभिन्न गांवों, कस्बों , चौपालों पर पहुंच कर नुक्कड़ सभाएं की चौपाल सभा में की। इस दौरान हजारों पर्चे वितरित किये गए।

इंदौर जिले के संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े अखिल भारतीय किसान सभा अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन किसान संघर्ष समिति किसान सभा अजय भवन तथा किसान मजदूर सेना के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने देपालपुर तहसील के गांधीनगर, हातोद, आगरा सहित विभिन्न गांव में तथा महू तहसील के सिमरोल सहित कई गांवों में पहुंचकर सभाओं को संबोधित किया।

यहां पहुंचे वक्ताओं का ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार किसान और मजदूर विरोधी है तथा पूंजी पतियों की हितैषी इसीलिए जहां तीन कृषि कानून लाकर इस सरकार ने खेती को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने का काम किया है वहीं मजदूर कानूनों में भी बदलाव कर मजदूरों को फिर से गुलाम बनाने की कोशिश की है सरकार की इन कोशिशों में से जहां अदानी अंबानी जैसे पूंजी पतियों की दौलत बढ़ेगी वहीं किसान और मजदूर बेरोजगार होगा नरेंद्र मोदी ने आपदा को अवसर समझकर तमाम तरह के ऐसे प्रावधान किए हैं जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है।

इन सभाओं में अरुण चौहान, रामस्वरूप मंत्री, सोनू शर्मा, प्रदीप बीआर, राजू जेरिया, बबलू जाधव सहित विभिन्न वक्ताओं ने संबोधित किया। महू और देपालपुर दोनों तहसील के 25 से अधिक गांव चौपालों और कस्बों में यह बैठकें आयोजित हुईं।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा है कि मोदी सरकार द्वारा जबरजस्ती बनाये गए तीन कृषि कानूनों का मकसद खेती का कार्पोरेटिकरण करना है। मोदीजी कारपोरेट को खेती सौंपना चाहते हैं। हमारी समझ है कि कानून किसानों की जमीन छीनने के उद्देश्य से लाए गए हैं ताकि किसान, किसानी और गांव खत्म कर कारपोरेट के लिए सस्ते मजदूर उपलब्ध कराया जा सकें।

एक तरफ प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत और किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रहे हैं, दूसरी तरफ कानूनों के माध्यम से उन्होने कारपोरेट को खेती में असीमित निवेश करने, कृषि उत्पादों की खरीद करने, भंडारण करने, खाद्य प्रसंस्करण करने तथा कृषि उत्पादों की जमाखोरी करने की खुली छूट दे दी है जिससे मंडी व्यवस्था, एमएसपी व्यवस्था, जन वितरण प्रणाली (खाद्य सुरक्षा) खत्म होना तय है।

किसान मोर्चा से जुड़े लोगों के मुताबिक वे आगे भी इंदौर जिले के तमाम गांवों में जाकर कृषि कानूनों के विरोध में बुलाए जा रहे भारत बंद के लिए सर्मथन मांगेंगे।

First Published on: September 23, 2021 10:22 PM