आदिवासी लोकपर्व भगोरिया हुआ शुरू, चटख रंग के ड्रेस कोड बने हैं गांव और फलिया की पहचान

सोमवार से शुरू हुआ भगोरिया , आदिवासी अंचल में इस बार चुनावी रंग भी पकड़ेगा जोर, गूंजेगी मांदल की थाप

पश्चिमी मप्र विशेषक झाबुआ-अलीराजपुर की आदिवासी संस्कृति के लोकपर्व भगोरिया की शुरूआत हो चुकी है। भगोरिया का त्यौहार आदिवासी नागरिकों के उल्लास और उनकी संस्कृति से साक्षात्कार करने का समय होता है।  क्षेत्र के विभिन्न गांव में आदिवासी युवतियां अलग- अलग चटक रंगों से सुसज्जित वेशभूषा में नज़र आ रहे हैं। ये अलग-अलग रंग उनके गांव के फलियों (गांव के अंदर बसी एक छोटी इकाई जिन्हें फलियां कहते हैं।) की पहचान हैं, ताकि गांव के पुरुष और स्वजन भीड़ में उन्हें दूर से पहचान सकें। काला, नीला, लाल, हरा, जामुनी, नारंगी व गुलाबी रंग में ड्रेस इस बार बाजारों में हैं। ज्यादातर युवतियों ने फलियों के हिसाब से वस्त्रों के रंग तय किए हैं। ड्रेस कोड के साथ ही कई युवतियों ने गोदना गुदवाया है।

प्राचीनकाल से चली आ रही है गोदने की प्रथा आज भी क्षेत्र में कायम है। भगोरिया के दौरान आई दुकानों पर युवक-युवतियां सूई से गोदना गुदवाते हैं। हालांकि गोदने से तात्पर्य क्षेत्र के अशिक्षित युवक-युवतियों में नाम और पहचान को लेकर हैं। वहीं पढ़े-लिखे युवा इसे आकर्षण और सुंदरता का प्रतीक मानते हैं। इसके पीछे मान्यता यह है कि शरीर में गोदना रहने से नजर नहीं लगती है। एक मान्यता है कि गोदना गुदवाने से शरीर बीमारियों से बच जाता है। शरीर में धारण किए सभी गहने मरने के बाद उतार लिए जाते हैं। गोदना रूपी गहना शरीर में हमेशा साथ रहता है, या कहें अमर रहता है।

भगोरिया पर्व की मोहक परंपराएंः मध्यप्रदेश के झाबुआ धार अलीरापुर और उसके आसपास के क्षेत्र के आदिवासी होली के पर्व को भगोरिया उत्सव के रूप में मनाते हैं। यह उत्सव संपूर्ण प्रदेश के आदिवासियों का उत्सव है लेकिन ये सभी ज्यादातर धार, झाबुआ, अलीरापुर क्षेत्र में एकत्रित होकर यह पर्व मनाते हैं। मूल रूप से यह मालवा और निमाड़ के आदिवासियों का उत्सव है। होलिका दहन से 7 दिन पूर्व शुरू होने वाले इस भगोरिया पर्व में युवा वर्ग की भूमिका खासी महत्वपूर्ण होती है।

इस बार दिखेगा चुनावी रंग: आदिवासी लोकपर्व भगोरिया में इस बार चुनावी रंग भी देखने को मिलेगा। लोकसभा चुनावों की सरगर्मी बढ़ चुकी है। साथ ही आचार संहिता की घोषणा के साथ चुनावी कार्यक्रम भी जारी हो जाएगा। जिले में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल ने अपने-अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए है। ऐसे में आदिवासी वोटरों को रिझाने के लिए दोनों ही दलों के नेताओं का भगोरिया मेलों में डेरा लगेगा। मेले के रूप में लोगों से मिलना जुलना करेंगे वह आने वाले चुनाव में उनके पक्ष में अधिक से अधिक वोट डलवाने के लिए उनसे संपर्क करेंगे। क्योंकि भगोरिया आदिवासी समाज का एक मुख्य उत्सव है।

इन स्थानों पर लगेगें भगोरिया के मेले:

 

First Published on: March 19, 2024 11:51 AM