दुनियाभर के विशेषज्ञों और कंपनियों के साथ आठ दिनों तक वर्चुअली चलेगा आर्युवेद का महाकुंभ


पहली बार वर्चुअल माध्यम से इतने बड़े सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। पूरे आठ दिनों तक रोज़ाना 12 सेमिनारों का आयोजन होगा। कोरोना के बाद  विश्व में आयुर्वेद की प्रांसगिकता और शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेद के सामर्थ्य पर सम्मेलन केंद्रित रहेगा।


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दवा-दारू Updated On :

नई दिल्ली। चौथा ग्लोबल आयुर्वेद फेस्टिवल का आयोजन 12 से 19 मार्च तक किया जाएगा। कोरोना के संभावित खतरों को देखते हुए यह कार्यक्रम इस बार वर्चुअली यानी आभासी मंच से होगा।  ग्लोबल आयुर्वेद फेस्टिवल के चेयरमैन एवं केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी एस मुरलीधरन ने इसकी जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि इस चौथे ग्लोबल आयुर्वेद फेस्टिवल का लक्ष्य  कोविड-19 के बाद की स्थितियों में आयुर्वेद के वैश्विक विकास और संवाद, और इससे देश-दुनिया के आयुर्वेदाचार्यों, वैद्यों, विद्वानों, चिकित्सकों और छात्रों को जोड़ना है।

सेंटर फॉर इनोवेशन इन साइंस एंड सोशल एक्शन (सीआईएसएसए), आयुर्वेद मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएमएआई), आयुर्वेद हॉस्पिटल मैनेजमेंट एसोसिएशन, आयुर्वेद ड्रग्स मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन और केरल स्टेट इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसीन सेल्फ-फाइनेंसिंग कॉलेज मैनेजमेंट एसोसिएशन और देश-दुनिया के अन्य कुछ अग्रणी संगठनों के नेतृत्व में चौथे ग्लोबल आयुर्वेद फेस्टिवल का आयोजन होना है।

फेस्टिवल के सेकेट्री जनरल एवं रमैया इंडिक स्पैशलिटी आयुर्वेद के डायरेक्टर आयुर्वेदाचार्य प्रोफेसर जी. जी. गंगाधरण ने बताया कि इस  साल 14 संगठनों के सहयोग से पूरे आठ दिनों तक वैश्विक आयुर्वेद का महाकुंभ होगा। औद्योगिक संगठन फिक्की इसका महोत्सव साझेदार और औद्योगिक साझेदार हैं।

उन्होंने बताया कि पहली बार वर्चुअल माध्यम से इतने बड़े सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। पूरे आठ दिनों तक रोज़ाना 12 सेमिनारों का आयोजन होगा। कोरोना के बाद  विश्व में आयुर्वेद की प्रांसगिकता और शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेद के सामर्थ्य पर सम्मेलन केंद्रित रहेगा।

इस मंच पर देश-दुनिया की कंपनियों को भी जगह मिलेगी और वे अपनी आभासी-प्रदर्शनियां यहां लगाएंगी। आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण से जुड़ी कंपनियों और अन्य हिस्सेदारों को इससे जोड़ने के लिए बहुत से कदम उठाए गए हैं। इनमें विदेशी निवेश, आयुर्वेद और औषधि-वनस्पतियों से जुड़े अनुसंधान और प्रौद्योगिकियां, मेडिकल पर्यटन, वगैरह आदि को लेकर व्यवस्थाएं की गई हैं। इस कार्यक्रम के लिए आयुर्वेद महाविद्यालयों और शोध संस्थानों के लिए विशेष पवेलियन की भी व्यवस्था की गई है।



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