भूमि घोटाले में अब पत्थरों की गवाही के लिए परिसर में पुलिस ने करवाई खुदाई


शिलालेख पर दर्ज जानकारी के अनुसार 1897 में तत्कालीन धार महाराज उदाजीराव पंवार के हाथों इसका शुभारंभ हुआ था। इसके बाद नवीन भवन परिसर का शुभारंभ भी 1925 में पंवार स्टेट की विजयाराजे द्वारा किया गया।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :
digging for stone

धार। मसीह अस्पताल की भूमि-भवन का विक्रय अनुबंध करने के मामले में नौगांव थाने में दर्ज प्रकरण में पुलिस ने अब जमीनी साक्ष्य जुटाना भी शुरू कर दिए हैं। इसको लेकर पत्थरों की भी गवाही सुनिश्चित की जा रही है।

इसके तहत सोमवार को नौगांव पुलिस ने नगरपालिका में एक आवेदन देकर नपा के मार्फत विवादित परिसर के सामने की और कुछ फीट की खुदाई करवाई है। इस खुदाई में पुलिस को जमीन में दफन हो चुका अस्पताल शुभारंभ का शिलालेख मिला है।

करीब पौन घंटे की खुदाई में शिलालेख दिखने के बाद नौगांव थाना प्रभारी आनंद तिवारी ने उसे पानी से धोकर साफ किया जिसके बाद उसके फोटो भी लिए गए हैं।

शिलालेख पर दर्ज जानकारी के अनुसार 1897 में तत्कालीन धार महाराज उदाजीराव पंवार के हाथों इसका शुभारंभ हुआ था। इसके बाद नवीन भवन परिसर का शुभारंभ भी 1925 में पंवार स्टेट की विजयाराजे द्वारा किया गया।

निजी का कोई साक्ष्य नहीं –

खुदाई में मिले संगमरमर के शिलालेख पर इस तरह का कोई साक्ष्य नहीं मिला कि यह भवन-भूमि निजी है। उल्लेखनीय है कि मिशनरी ट्रस्ट के मार्फत संचालित होने वाली जमीनों को निजी बताकर भू-माफिया सुधीर उर्फ बनी दास ने सेंट टेरेसा के नाम से प्रचलित जमीन का सौदा मुख्तियार के माध्यम से अलग-अलग लोगों को किया था।

इस मामले में कोतवाली थाने में प्रकरण दर्ज किया गया था। सुधीर दास ने ही मसीह अस्पताल की भूमि को भी सेंट टेरेसा मामले में दास एवं अन्य दो के साथ सह आरोपी सुधीर शांतिलाल और उनके साले अंकित वडेरा से विक्रय अनुबंध किया था।

अस्पताल क्षेत्र नौगांव थाना क्षेत्र अंतर्गत आने से इसका प्रकरण नौगांव में दर्ज किया गया। इस मामले में सुधीर दास फिलहाल जेल में बंद है। वहीं क्रय अनुबंध करने वाले सुधीर और उनका साला दोनों पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं।

दान की है दोनों भूमियां –

पुलिस के अनुसार ईसाई मिशनरी के माध्यम से सेवा गतिविधि संचालित की जाने वाली सभी भूमियां पंवार स्टेट ने जनकल्याण हितार्थ कार्यों के लिए दान में दी थी।

स्कूल संचालक सुधीर दास ने अपने पिता रत्नाकर दास के मरने के बाद मां को वारिस बताकर उनके मार्फत जमीनों के सौदे करवाये और बाद में खुद मालिक बनकर खुद विक्रय अनुबंध किये हैं।

सुधीर दास की बदमाशी का यह आलम है कि जमीनों के अलग-अलग सौदों में कभी उसने स्वयं को आदिवासी दर्शाया है तो कभी स्वयं को ईसाई बताया है।



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