
धार जिले सहित इंदौर संभाग के आदिवासी बहुल इलाकों में सिकल सेल एनीमिया एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। वर्ष 2024-25 के दौरान धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगोन, बड़वानी, खंडवा और बुरहानपुर जिलों में कुल 6736 नए सिकल सेल मरीज मिले हैं। अकेले बड़वानी में ही 2200 नए मामले दर्ज हुए हैं, जो सबसे अधिक हैं। वहीं बुरहानपुर में केवल 104 मरीज मिले, जो न्यूनतम है।
बीमारी की जड़ में आदिवासी क्षेत्र
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक सिकल सेल एनीमिया के अधिकांश मरीज आदिवासी समुदाय से हैं। जागरूकता की कमी और समय पर जांच न हो पाने के कारण इस बीमारी की पहचान देर से होती है। ये बीमारी वंशानुगत होती है, और माता-पिता दोनों के वाहक होने पर बच्चों में यह बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है।
धार में चल रहा है विशेष अभियान
धार जिले में इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए खास अभियान चलाया जा रहा है। इसमें न केवल मरीजों की पहचान की जा रही है, बल्कि उन्हें परामर्श देकर जीवनशैली और वैवाहिक निर्णयों में सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है। जिनकी शादी नहीं हुई है, उन्हें विवाह से परहेज करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, और जिनकी शादी हो चुकी है, उन्हें फैमिली प्लानिंग की सलाह दी जा रही है। इससे बीमारी की पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ने की गति को रोका जा सकेगा।
राज्यपाल ने बढ़ाया हौसला
धार पीजी कॉलेज में हाल ही में आयोजित कार्यशाला में राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने शिरकत की। उन्होंने सिकल सेल की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि “यह बीमारी केवल मेडिकल नहीं, सामाजिक चेतना का भी विषय है। हमें इसे शिक्षा, विवाह और स्वास्थ्य नीति से जोड़कर ही पूरी तरह खत्म करना होगा।”
अब तक की स्थिति
धार जिले की कुल जनसंख्या 26.87 लाख है, जिसमें से 12 लाख से अधिक लोगों की जांच की जा चुकी है। इन स्क्रीनिंग में 2519 मरीज और 25,083 वाहक (कैरीयर) सामने आए हैं। जिन्हें फोलिक एसिड, आवश्यक दवाएं और गंभीर स्थिति में रक्त चढ़ाकर इलाज किया जा रहा है।
जिला | कुल जांच | सिकलसेल मरीज | वाहक |
---|---|---|---|
धार | 12,00,758 | 2,519 | 25,083 |
झाबुआ | 6,80,426 | 980 | – |
अलीराजपुर | 5,00,733 | 888 | – |
खरगोन | 4,27,262 | 1,470 | – |
बड़वानी | 3,69,899 | 2,200 | – |
खंडवा | 1,16,373 | 235 | – |
बुरहानपुर | 90,978 | 104 | – |
समाधान की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि बीमारी से जुड़ी सामाजिक समझ और शादी पूर्व जांच की आदत इसे नियंत्रित करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है। फिलहाल राज्य और केंद्र सरकार मिलकर मिशन मोड में सिकल सेल फ्री भारत का लक्ष्य लेकर काम कर रही हैं।