अमृत हरित नहीं, सूखा सत्य: पौधारोपण के बाद प्रशासन लापता


धार में अमृत हरित अभियान सिर्फ प्रचार तक सिमटा। जमनजत्ती पहाड़ी पर लगाए गए पौधे देखरेख के अभाव में सूख गए। प्रशासन व जनप्रतिनिधियों पर लापरवाही का आरोप।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

अमृत हरित अभियान बना मजाक, मातृभूमि और प्रकृति से खिलवाड़ का आरोप

 

धार। प्रधानमंत्री के निर्देश पर शुरू हुआ ‘अमृत हरित अभियान’ — जो देश की भूमि को हरित बनाने की एक राष्ट्रीय महत्वाकांक्षी योजना है — अब ज़मीनी हकीकत में मजाक बनता जा रहा है। धार नगर समेत जिले के कई इलाकों में पौधारोपण कार्यक्रम केवल प्रचार तक सीमित रह गया है। एक ओर जहां हरियाली बढ़ाने का दावा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर लगाए गए पौधे देखरेख के अभाव में दम तोड़ चुके हैं।

 

कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. मनोहर सिंह ठाकुर ने प्रशासन पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा, “पिछले साल धार नगर के पास जमनजत्ती की पहाड़ी पर बड़े पैमाने पर एक करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए थे। जिला प्रशासन, केंद्रीय मंत्री, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में इसे वन ग्राम घोषित किया गया। उद्देश्य था कि इनमें से कम से कम 25 प्रतिशत पौधे पेड़ों में परिवर्तित हों। लेकिन सच्चाई यह है कि 1 प्रतिशत पौधे भी जीवित नहीं बचे।”

 

अभियान की शुरुआत तो पूरे उत्साह और जोश के साथ हुई, लेकिन उसके बाद न तो किसी ने इन पौधों की देखरेख की और न ही समय पर पानी दिया गया। पहाड़ी आज भी खाली पड़ी है — ना पौधे हैं, ना छांव, सिर्फ बीते वादों की यादें बाकी हैं।

 

डॉ. ठाकुर ने कहा, “अमृत हरित अभियान का मूल उद्देश्य 2030 तक देश की 15 प्रतिशत भूमि को वन भूमि में बदलना है। 2024 में 80 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य था और 2025 तक 140 करोड़ पौधे लगाए जाने हैं। लेकिन ये आंकड़े सिर्फ फाइलों में ही नजर आते हैं।”

 

उन्होंने इस वर्ष की शुरुआत पर भी सवाल खड़े किए। धार के डीआरपी लाइन इलाके में नगर पालिका द्वारा फिर से पौधारोपण का आयोजन किया गया, जहां जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की मौजूदगी में गाजे-बाजे के साथ पौधे लगाए गए। ठाकुर का कहना है कि यह सिर्फ “जनता को भ्रमित करने का प्रयास” है। असल में, डीआरपी की जमीन पर पहले से ही आरआई, पुलिस विभाग और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा हरियाली अभियान चलाया जा रहा है। नगर पालिका का यह नया अभियान सिर्फ दिखावा बनकर रह गया है।

 

उन्होंने चेतावनी दी कि यह मामला प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार के संज्ञान में लाया जाएगा और विधानसभा में उठाया जाएगा। साथ ही प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और पर्यावरण मंत्रालय से मांग की जाएगी कि वे इन अनियमितताओं की जांच कराएं और दोषी अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों पर कार्यवाही हो।

 

डॉ. ठाकुर ने कहा, “इस तरह की लापरवाही और दिखावटी पौधारोपण न सिर्फ सरकारी संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि मातृभूमि, प्रकृति और आम जनमानस के साथ एक प्रकार का धोखा भी है। जब तक यह अभियान केवल फोटो खिंचवाने और खबरों में आने तक सीमित रहेगा, तब तक कोई हरियाली नहीं आने वाली।”

 

 



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