
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे देश में आवारा कुत्तों से जुड़ी नीतियों पर अहम फैसला सुनाया है। अब देश भर में पकड़े गए स्ट्रे डॉग्स को नसबंदी (Sterilisation) और टीकाकरण (Immunisation) के बाद वापस उसी इलाके में छोड़ा जाएगा, जहाँ से उन्हें पकड़ा गया था।
हालांकि, अगर कोई कुत्ता रेबीज से संक्रमित है या खतरनाक रूप से आक्रामक व्यवहार कर रहा है, तो उसे शेल्टर होम में ही रखा जाएगा। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशीय बेंच ने दिया है, जिसमें न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन.वी. अंजारिया शामिल थे।
पुराने आदेश में क्या था?
11 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशीय बेंच ने आदेश दिया था कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों से सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर डॉग शेल्टर में रखा जाए, और उन्हें वापस सड़कों पर न छोड़ा जाए। इस पर पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और कई सामाजिक संगठनों ने आपत्ति जताई, क्योंकि यह देश में लागू Animal Birth Control (ABC) नियमों के खिलाफ था।
नए आदेश में क्या बदलाव हुआ?
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सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में यह नियम लागू होगा, केवल दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं रहेगा।
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सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि सिर्फ रेबीज या आक्रामकता वाले कुत्तों को ही शेल्टर में रखा जाए, बाकी को नसबंदी और टीकाकरण के बाद वापस छोड़ा जाए।
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सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाने पर पाबंदी लगाई गई है। इसके लिए स्थानीय निकायों को फीडिंग ज़ोन बनाने का निर्देश दिया गया है।
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कोई भी व्यक्ति या संगठन, यदि कुत्तों को पकड़ने में नगर निगम या प्रशासन के काम में बाधा डालता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट का उद्देश्य क्या है?
कोर्ट ने कहा कि उसका मकसद जनसुरक्षा और पशु कल्याण के बीच संतुलन बनाना है। छोटे बच्चों और आम लोगों की सुरक्षा भी जरूरी है, लेकिन जानवरों के साथ क्रूरता नहीं की जा सकती। अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस और प्रशासन को तुरंत प्रतिक्रिया देने वाली हेल्पलाइन बनानी चाहिए, जिससे कुत्तों के काटने की घटनाओं की तुरंत रिपोर्टिंग और कार्रवाई हो सके।