महूः हल होगी चिप्स कारखानों के प्रदूषित पानी की समस्या, यहां प्रदूषण ने ख़त्म कर दी एक नदी


नाले व नदी के आसपास रहने वाले सैकड़ों  रहवासी इससे खासे परेशान हैं।  बदबू के कारण रहवासी  घरों के दरवाजे तक नहीं खोल पाते हैं।यहां तक की बदबू के कारण घरों के बर्तन व मंदिरों की मूर्ति व कलश तक काले पड़ जाते हैं।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Published On :

महू। तहसील का कोदरिया व नेउगुराडिया पंचायत क्षेत्र वर्षों से आलू चिप्स व्यापार का हब बना हुआ है। यहां डेढ़ सोै से ज्यादा कारखाने संचालित हो रहे हैं लेकिन इनमें से निकलने वाले गंदे व बदबूदार पानी से अनेक गांव के रहवासी परेशान हैं। इस बार एसडीएम अभिलाष मिश्रा की पहले से महू की इस समस्या का समाधान निकलता नज़र आ रहा है।

इस गंदे पानी के लिए बनाए जाने वाले ट्रीटमेंट  प्लांट के लिए कारखाना संचालकों ने आठ लाख रूपये की राशि जमा करा दी है और इतनी ही  शेष राशि भी जल्दी ही जमा हो जाएगी। सोमवार को कलेक्टर कार्यालय में इसे लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है।

कोदरिया व नेउगुराडिया पंचायत में वर्षो से संचालित आलू चिप्स के डेढ सौ कारखाने एक बड़े उद्योग का रूप ले चुके हैं। इनसे हजाराें लोगों को रोजगार मिलता है और संचालकों को बड़ी कमाई होती है। इस सब के बावजूद इन कारखानों से निकलने वाला गंदा-बदबूदार पानी  एक बड़ी समस्या बना हुआ है। जिसे संचालक नाले में बहा देते हैं।

चिप्स कारखानों से निकलने वाला यह प्रदूषित पानी आगे जाकर गूजरखेड़ा और  किशनगंज होते हुए गंभीर नदी में मिलता है। इस उद्योग ने जहं हज़ारों लोगों को रोज़ी-रोटी मिली है तो वहीं एक नदी को पूरी तरह समाप्त भी कर दिया है।

नाले व नदी के आसपास रहने वाले सैकड़ों  रहवासी इससे खासे परेशान हैं।  बदबू के कारण रहवासी  घरों के दरवाजे तक नहीं खोल पाते हैं।यहां तक की बदबू के कारण घरों के बर्तन व मंदिरों की मूर्ति व कलश तक काले पड़ जाते हैं। प्रदर्शन व आंदोलन के बाद स्थानीय प्रशासन ने कई बार संचालकों को पानी को नाले  में ना बहाते हुए मौके पर ही नष्ट करने की हिदायत दी लेकिन कोई असर नहीं हुआ।

दो साल पहले  निर्णय लिया गया था कि यह गंदे पानी के लिए एक ट्रीटमेंट में  प्लांट डाला जाएगा।  इसके लिए प्रत्येक कारखाना संचालक  प्रति यूनिट एक हजार रूपये के हिसाब से पंचायत को राशि जमा कराएगा इसके बाद पंचायत अनुमति देगीे लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ।

इस बार इन अस्थायी कारखाना संचालकों को अनुमति देने के लिए पंचायत के अधिकार छीन लिए और प्रशासन ने कमान खुद ही अपने हाथों में ले ली। अनुमति के लिए एसडीएम के पास जाना ज़रूरी हो गया है और यही वजह है कि अब संचालकों ने ट्रीटमेंट प्लांट के लिए राशि जमा कराना शुरू कर दिया है। अब तक आठ लाख् रूपये जमा हो चुके है तथा शेष सात लाख रूपये की राशि भी जल्दी ही  जमा हो जाएगी।

इसके बाद विधायक व सांसद निधि मिला कर यहां ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाएगा। जिससे गंदे पानी व बदबू की समस्या का स्थायी निराकरण हो जाएगा। साथ ही ट्रीटमेंट के बाद  पानी को दोबारा उपयोग किया जा सकेगा।

स्थानीय प्रशासन  की संख्ती के कारण अब इस समस्या का स्थायी निराकरण संभव होता नजर आ रहा है। सोमवार को इस विषय को लेकर कलेक्टर कार्यालय में आवश्यक बैठक होगी। कोदरिया गांव की सरपंच अनुराधा जोशी ने बताया कि एसडीएम अभिलाष मिश्रा की पहल अब रंग ला रही है। जिस कारण सभी कारखान संचालक सहयोग करने लगे है। सोमवार को कलेक्टर कार्यालय में होने वाली बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।



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