छत टपकती रही, पढ़ाई भीगती रही: बालाघाट के स्कूलों में डर के साए में शिक्षा


बालाघाट के महकेपार गांव में स्कूल की छत टपक रही है, फर्श टूटी है और पढ़ाई नहीं हो रही। प्रशासन चुप, बच्चे खतरे में पढ़ने को मजबूर।


नितेश उचबगले नितेश उचबगले
बालाघाट Published On :

स्कूल में पानी भर जाने से पढ़ाई नहीं होती… बैठने के लिए जगह भी नहीं मिलती। डर लगता है कि ऊपर से छत न गिर जाए।

ये कहना है बालाघाट से 75 किलोमीटर दूर स्थित महकेपार गांव के बड़टोला स्कूल में पढ़ने वाली एक चौथी कक्षा की छात्रा का।

शिक्षा को मौलिक अधिकारों में शामिल हुए करीब 23 साल हो चुके हैं, लेकिन दिव्यांशी आज भी ऐसे स्कूल में पढ़ रही है जहां ज़रा सी बारिश में स्कूल में पानी भरने लगता है। वहीं, बारिश ज़्यादा हो जाए तो स्कूल की छुट्टी हो जाती है। उसे हर वक्त यह डर सताता है कि कहीं ऊपर से कुछ गिर न जाए। देखिए यह ग्राउंड रिपोर्ट —

 

स्कूल की छत है जर्जर

बालाघाट से 75 किलोमीटर दूर महकेपार गांव में एक प्राइमरी स्कूल है, जिसमें कक्षा 1 से लेकर 5वीं तक की पढ़ाई होती है। स्कूल की बिल्डिंग कई साल पुरानी है। छत कच्ची है और कवेलू से बनी हुई है, जो अब जर्जर हो चुकी है। छत को सहारा देने वाली लकड़ियां भी सड़ चुकी हैं।

बारिश के दौरान स्कूल के कमरों में पानी भर जाता है, जिससे बच्चों को बैठने तक में दिक्कत होती है। मजबूरी में सभी कक्षाओं के बच्चों को एक ही कमरे में बैठाया जाता है। अगर बारिश ज़्यादा हो जाए तो स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है। इस हाल में भारत का भविष्य शिक्षा हासिल कर रहा है।

फर्श भी खराब, शिक्षक और छात्र परेशान

स्कूल की फर्श भी कई जगह से टूटी हुई है। बारिश के समय फर्श लगातार गीली रहती है जिससे फिसलने का खतरा बना रहता है। छत से पानी दीवारों के रास्ते नीचे आता है, जिससे दीवारें भी धीरे-धीरे खराब हो रही हैं।

स्कूल की प्रधानाध्यापिका सुशीला गजाम ने लोकल 18 को बताया कि उन्होंने पंचायत से लेकर उच्च अधिकारियों तक कई बार आवेदन दिए, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

 

जर्जर कमरे में पक रहा मध्यान्ह भोजन

महकेपार से 5 किलोमीटर दूर कन्हड़गांव के प्राथमिक स्कूल में मध्यान्ह भोजन पकाने वाला कक्ष भी काफी जर्जर हालत में है। छत और दीवारें किसी भी समय गिर सकती हैं। वहां काम कर रहीं दो महिलाओं को हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए। इसके संबंध में कई बार आवेदन दिए गए, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।

 

जिम्मेदार बोले – फिलहाल टेंपरेरी व्यवस्था के निर्देश दिए हैं

इस मुद्दे पर डीपीसी जीपी बर्मन से संवाददाता ने बात की। उन्होंने कहा कि “बारिश के मौसम में अस्थायी सुधार कार्य कराकर व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं।”

जब रिपोर्टर ने पूछा कि जनवरी में मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत क्यों नहीं हुई, तो उन्होंने जवाब दिया, “यह शासकीय प्रक्रिया है। हम शीघ्रता से कार्य करते हैं लेकिन प्रक्रिया में समय लगता है। अगर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिलती तो यह उनके शिक्षा के अधिकार का हनन है।”

पीटीसी कर रहे रिपोर्टर को डीपीसी ने रोका

स्कूलों की जर्जर हालत पर रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकार जब अंत में पीटीसी (Piece to Camera) कर रहे थे, तब उन्होंने जानकारी दी कि जिले में केवल एक-दो नहीं, बल्कि 934 स्कूल जर्जर हालत में हैं और 97 स्कूल भवनविहीन हैं।

इसी दौरान डीपीसी बर्मन बाहर आए और कैमरा चला रहे शख्स से वीडियो डिलीट करने को कहा। रिपोर्टर लगातार मना करता रहा, लेकिन डीपीसी बोले, “आज क्यों कर रहे हो, कल मंत्री जी आएंगे।”

वहीं मौजूद एक युवक ने ज़बरदस्ती मोबाइल से वीडियो डिलीट कर दिया। रिपोर्टर ने पूछा, “भैया इसमें गलत क्या है?” लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। डीपीसी बर्मन अंदर चले गए और युवक ने मोबाइल लौटा दिया व रिपोर्टर से बाहर जाने को कहा।

 

जब रिपोर्टर ने युवक से नाम पूछा तो उसने मना कर दिया। उसने कहा, “मैं अपने भाई से मिलने होस्टल आया हूं, सर मुझे डांटेंगे… क्या करता। इसलिए उनके कहने पर वीडियो डिलीट कर दिया।” वैसे इस तरह की घटनाओं को दर्ज करने के लिए इस जगह पर एक सीसीटीवी कैमरा भी लगा हुआ है।

 



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