BJP सांसद साध्वी प्रज्ञा का दावा- रोज गौमूत्र पीती हूं, इसलिए कोरोना से बची हुई हूं


भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ने गौमूत्र से कोरोना संक्रमण रोकने का दावा करते हुए कहा है कि वे खुद प्रतिदिन गौमूत्र का अर्क लेती हैं। इसी कारण अब तक इस संक्रमण से बची रहीं और इसके चलते उन्हें आगे भी संक्रमण नहीं होगा।


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भोपाल Published On :
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भोपाल। भोपाल से भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर अपने अजब-गजब बयानों व दावों के कारण मीडिया की सुर्खियों में बनी रहती हैं। अब उनका एक और दावा चर्चा में है।

भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ने गौमूत्र से कोरोना संक्रमण रोकने का दावा करते हुए कहा है कि वे खुद प्रतिदिन गौमूत्र का अर्क लेती हैं। इसी कारण अब तक इस संक्रमण से बची रहीं और इसके चलते उन्हें आगे भी संक्रमण नहीं होगा।

भोपाल के संत नगर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान रविवार को यह बात साध्वी प्रज्ञा ने कही। उनके इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया में सोमवार को वायरल हुआ।

उन्होंने कहा कि

देसी गाय के गौमूत्र का अर्क अगर हम लेते हैं, तो हमारे फेफड़ों का संक्रमण खत्म होता है। मैं बहुत तकलीफ में हूं, लेकिन प्रतिदिन गौमूत्र अर्क लेती हूं, इसलिए अभी मुझे कोरोना के लिए कोई औषधि नहीं लेनी पड़ रही है। न ही कोरोना ग्रस्त हूं और न ही ईश्वर करेगा क्योंकि मैं उस औषधि का उपयोग कर रही हूं। हां मैं प्रार्थना करके लेती हूं- आप हमारे अमृत का स्वरूप हैं, हम ग्रहण कर रहे हैं। मेरे जीवन की रक्षा करें। मेरा जीवन राष्ट्र के लिए है। गाय का गौमूत्र जीवन दायिनी होता है।

उन्होंने दावा किया कि सिर्फ देसी गाय का ही गौमूत्र उपयोगी होता है। इसमें भी जंगल में चरने वाली गाय का मूत्र ही औषधि स्वरूप होता है। मूत्र को साफ कपड़े से 16 बार छानना होता है। यह एसिड की तरह काम करता है। इससे पेट पूरी तरह साफ हो जाता है और पेट से ही सभी तरह की बीमारियां होती हैं।

वहीं साध्वी प्रज्ञा के इस दावे पर विशेषज्ञों ने कहा कि गौमूत्र पीने के कई फायदे हैं, लेकिन इसे सीधे नहीं पिया जा सकता है। इसे प्रॉसेस करना होता है। यह कई बीमारियों को दूर करने में उपयोगी है, लेकिन मुख्य रूप से पेट के रोगों के लिए यह लाभदायक होता है।

साथ ही गौमूत्र को लेकर किसी तरह का दावा नहीं किया जा सकता है कि यह विशेष तौर पर कोरोना को रोकने में कारगर है। हालांकि, यह कैंसर जैसी बीमारी को ठीक कर देता है, लेकिन यह शुरुआती कुछ चरण में ही कारगर होता है।



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