7 साल में लोकायुक्त को 35 हजार शिकायतें, सिर्फ 10% में जांच शुरू


मध्यप्रदेश में लोकायुक्त के पास 7 साल में 35,434 शिकायतें पहुंचीं, लेकिन सिर्फ 9.64% में ही जांच शुरू हो सकी। कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने विधानसभा में उठाए सवाल।


आशीष यादव आशीष यादव
भोपाल Published On :

मध्यप्रदेश में सरकारी भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले सबसे बड़े मंच लोकायुक्त संगठन की कार्यप्रणाली पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। बीते सात वर्षों में लोकायुक्त के पास कुल 35,434 शिकायतें पहुंचीं, लेकिन इनमें से केवल 9.64% मामलों में ही प्राथमिक जांच (PE – प्रीलिमिनरी इनक्वायरी) शुरू की गई। और तो और, सिर्फ 1,897 मामलों में आपराधिक प्रकरण दर्ज हो सके हैं।

यह चौंकाने वाला खुलासा विधानसभा में कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल के एक प्रश्न के जवाब में हुआ है। ग्रेवाल ने लोकायुक्त की धीमी जांच प्रक्रिया और न्याय में देरी को लेकर गंभीर चिंता जताई है।

शिकायतें तो हजारों, लेकिन कार्रवाई गिनी-चुनी

लोकायुक्त को दी गई शिकायतों में अधिकतर भ्रष्टाचार, पद के दुरुपयोग और रिश्वतखोरी से जुड़े मामले होते हैं। लेकिन इन शिकायतों पर जांच प्रकरण दर्ज करने की कोई समय सीमा तय नहीं है। गृह विभाग ने विधानसभा में बताया कि जांच शुरू करने या आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की औसत अवधि बताना संभव नहीं है, क्योंकि ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता।

इस पर विधायक ग्रेवाल ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा—”औसत अवधि कोई ‘तय’ तो नहीं होती, लेकिन अंकगणित से निश्चित रूप से निकाली जा सकती है। सरकार सिर्फ तथ्य छिपा रही है।”

 

 

न्याय में देरी = न्याय से इनकार

ग्रेवाल ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि “Justice delayed is justice denied” — यानी न्याय में देरी न्याय न देने के समान है। जब किसी शिकायत पर दो से तीन साल तक जांच भी शुरू न हो सके, तो जनता का भरोसा लोकायुक्त जैसे संस्थानों से उठना स्वाभाविक है।

 

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर जवाब देने से बच रही है, क्योंकि जांच प्रकरण दर्ज करने में औसतन दो साल और आपराधिक प्रकरण दर्ज करने में तीन साल से अधिक का समय लग रहा है।

घटती शिकायतें: लोकायुक्त पर घटता भरोसा

आंकड़ों के अनुसार, लोकायुक्त में दर्ज शिकायतों की संख्या भी लगातार घट रही है:

  • 2019-20: 5,508 शिकायतें
  • 2020-21 (कोविड काल): 4,899 शिकायतें
  • 2024-25: केवल 4,225 शिकायतें

 

यह गिरावट इस बात का संकेत है कि जनता अब लोकायुक्त में शिकायत करने को लेकर हतोत्साहित हो रही है।

 

रिश्वत और भ्रष्टाचार के मामले भी घटे, लेकिन क्यों?

रिपोर्ट के अनुसार, रिश्वत के मामलों में दर्ज आपराधिक प्रकरणों की संख्या भी घटी है:

  • 2019: 244 मामले
  • 2024: 196 मामले

पद के दुरुपयोग और अनुपातहीन संपत्ति के मामलों में भी गिरावट आई है। हालांकि, ग्रेवाल का तर्क है कि यह गिरावट “भ्रष्टाचार कम होने” का नहीं, बल्कि “शिकायतों के निराकरण में देरी और भरोसे की कमी” का परिणाम है।



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