
राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे महिला एवं बाल विकास कार्यक्रमों के अंतर्गत धार जिले को मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा लक्ष्य मिला है। शिक्षा और पोषण का आधार माने जाने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों को लेकर जिले में इस समय एक बड़ा निर्माण कार्य चल रहा है, जिसमें कुल 509 नए भवनों का निर्माण किया जाना है। यह संख्या पूरे प्रदेश में सर्वाधिक है। हालांकि इतने प्रयासों के बावजूद भी 900 से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र अब भी भवनविहीन हैं, जो आज भी किराए के मकानों में संचालित हो रहे हैं।
निर्माण कार्य से उम्मीदें, किराए की मजबूरी बनी चुनौती
धार जिले में फिलहाल 3858 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिनमें करीब 1.4 लाख बच्चे पंजीकृत हैं। परंपरागत रूप से ये केंद्र गांवों में शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य जागरूकता के प्राथमिक केंद्र माने जाते हैं। लेकिन वर्षों पुरानी संरचनाएं अब जर्जर हो चुकी हैं। ऐसे में सरकार ने नए भवन निर्माण का बीड़ा उठाया है। इनमें से 300 से अधिक भवन बनकर तैयार हो चुके हैं, और शेष निर्माण कार्य प्रगति पर है।
हालांकि स्थिति यह है कि आज भी 900 केंद्रों के पास खुद की इमारत नहीं है। ये केंद्र गांवों के किराए के मकानों में किसी तरह संचालित हो रहे हैं। इससे बच्चों को सुविधाजनक वातावरण नहीं मिल पा रहा।
आदिवासी बहुल धार को मिला केंद्र सरकार का विशेष समर्थन
धार जिले को यह विशेष लक्ष्य “आदि आदर्श ग्राम योजना” के अंतर्गत मिला है। केंद्र सरकार की इस योजना के माध्यम से आदिवासी बहुल जिलों को प्राथमिकता दी जा रही है। स्थानीय सांसद एवं राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर की पहल पर जिले को यह बड़ी सौगात मिली। इस योजना की मॉनिटरिंग जनजातीय कार्य विभाग कर रहा है।
परियोजना अधिकारी सुभाष जैन के अनुसार, हर भवन के निर्माण पर औसतन 10 से 15 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसके लिए पंचायतों से प्रस्ताव मंगाए गए थे।
कहां कितने भवन?
गंधवानी विधानसभा (उमंग सिंघार की सीट): 91 भवन
कुक्षी व निसरपुर (कुक्षी विधानसभा): 29 भवन
बदनावर विधानसभा: 13 भवन
धार ब्लॉक: केवल 1 भवन (खिलचीपुरा पंचायत)
गर्भवती और धात्री महिलाओं को भी मिलेगा लाभ
इन केंद्रों पर सिर्फ बच्चों को शिक्षा और पोषण नहीं दिया जाता, बल्कि गर्भवती और धात्री महिलाओं के लिए स्वास्थ्य, पोषण और परामर्श से जुड़े कार्यक्रम भी होते हैं। नए भवनों के निर्माण से अब यह सुविधाएं अधिक संगठित रूप में मिल सकेंगी।