सरकारी गोदामों में पड़ा खाद, लेकिन सोसाइटियों और नगद केंद्रों पर खाली हाथ लौट रहे किसान


धार जिले में डीएपी खाद की भारी किल्लत ने किसानों को बोवनी के वक्त संकट में डाल दिया है। सहकारी समितियों से लेकर नगद केंद्र तक खाद की कमी, प्रशासन के दावे और किसानों की हकीकत इस रिपोर्ट में जानिए।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :

मध्य प्रदेश के धार जिले में खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ ही डीएपी खाद (18:46) की भारी किल्लत सामने आ रही है। खेतों को तैयार कर चुके किसान अब खाद के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। जिला प्रशासन और मार्कफेड पर्याप्त स्टॉक होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जमीनी सच्चाई इन दावों से बिल्कुल उलट है। सहकारी समितियों और नगद केंद्रों पर डीएपी खाद नहीं मिल रही, जिससे किसानों में नाराजगी बढ़ रही है।

 

इस बार जिले में लगभग 5 लाख 14 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ की बुवाई की जानी है, जिसमें से लगभग 3 लाख 11 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन बोई जानी है। किसानों को इस फसल के लिए खासतौर पर डीएपी खाद की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसमें 18 प्रतिशत नाइट्रोजन और 46 प्रतिशत फास्फोरस होता है जो बीज के अंकुरण और जड़ों के विकास के लिए जरूरी है।

 

खाद वितरण के सरकारी आंकड़े, लेकिन किसानों को राहत नहीं

10 जून तक जिले में कुल 1 लाख 2 हजार मीट्रिक टन खाद की उपलब्धता दर्शाई गई थी। इसमें से लगभग 42 हजार टन खाद का वितरण किया जा चुका है, जबकि 60 हजार टन खाद अब भी गोदामों में पड़ा है। आंकड़ों के अनुसार डीएपी की कुल उपलब्धता 7,725 टन बताई जा रही है, जबकि वितरण केवल 4,338 टन का हुआ है। यानी 3,377 टन डीएपी खाद अभी बाकी है, लेकिन यह जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच पा रही है।

 

 

किसान बोले: इस बार चुनाव नहीं, इसलिए नहीं सुन रही सरकार

कई किसानों का कहना है कि चुनावी साल में तो खाद, बीज, बिजली सबकुछ समय पर मिलता है, लेकिन इस बार प्रशासन की उदासीनता साफ नजर आ रही है। “साहब! इस बार चुनाव नहीं है तो परेशान हो रहे किसान,” — यह बात अब किसानों की जुबान पर है।

 

निजी दुकानों पर डीएपी की कीमत सरकारी दर से अधिक वसूली जा रही है। वहीं नकली खाद और कीटनाशकों की बढ़ती समस्या से किसान पहले से ही चिंतित हैं। बीते साल पंजाब में दर्ज एक एफआईआर में यह बात सामने आई थी कि धार जिले में बड़ी मात्रा में नकली खाद की आपूर्ति की गई थी।

 

प्रशासन की अपील पर नहीं दिखा किसानों का भरोसा

प्रशासन बार-बार किसानों से अग्रिम खाद उठाव की अपील कर रहा है ताकि अतिरिक्त स्टॉक मंगाया जा सके। लेकिन किसान अभी तक इस प्रक्रिया में रुचि नहीं दिखा रहे। इसका एक बड़ा कारण पिछले अनुभव हैं, जब अग्रिम भंडारण के बावजूद समय पर खाद नहीं मिल पाया।

 

क्या है समाधान?

  • डीएपी की आपूर्ति तत्काल बढ़ाई जाए।
  • सहकारी समितियों और नगद केंद्रों को प्राथमिकता के आधार पर खाद वितरित की जाए।
  • नकली खाद बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई हो।
  • किसानों को वैकल्पिक खादों की सही जानकारी और सब्सिडी दी जाए।

खरीफ सीजन का हर दिन महत्वपूर्ण है। यदि समय रहते खाद की व्यवस्था नहीं हुई, तो जिले में सोयाबीन और अन्य फसलों की बुवाई प्रभावित हो सकती है, जिसका सीधा असर किसानों की कमाई पर पड़ेगा।



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