
मालवा की सांस्कृतिक धरोहर मानी जाने वाली धार की अनंत चतुर्दशी वर्षों से पूरे प्रदेश में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। यहां की झिलमिलाती झांकियां और अखाड़ों का अद्भुत प्रदर्शन दूर-दराज़ के जिलों से भी लोगों को आकर्षित करता रहा है। लेकिन बदलते दौर के साथ आर्थिक तंगी का असर इस परंपरा पर भी साफ दिखाई देने लगा है। जहां कभी धार की सड़कों पर 50 से अधिक झांकियां और अखाड़े निकलते थे, वहीं इस बार यह संख्या घटकर लगभग 20 झांकियों और 18 अखाड़ों तक सिमट गई है।
पैसों की मार से टूटी परंपराएं
धार की अनंत चतुर्दशी का नाम सुनते ही प्रदेशभर के श्रद्धालुओं और दर्शकों की आंखों में एक उत्साह भर जाता था। लेकिन अब कई समितियां आर्थिक संकट से जूझ रही हैं। शहर की एकता चौपाटी, पठा चौपाटी, हटवाड़ा गणेश उत्सव, पिपली बाजार, गांधी कॉलोनी, शास्त्री कॉलोनी, नालछा दरवाजा, राजपूत युवा संगठन नौगांव, माली समाज और तिरुपति नगर जैसी जगहों की झांकियां बंद हो चुकी हैं। इनमें कई समितियां 40 से 50 साल पुरानी थीं और लगातार हर साल आकर्षक झांकियां निकालती रही थीं।
इंदौर जैसे बड़े शहरों में जहां प्रशासन और राजनेताओं की ओर से झांकी समितियों को आर्थिक सहयोग मिलता है, वहीं धार में इस तरह की मदद नहीं मिलती। यहां अधिकतर समितियां खुद ही चंदा जुटाकर और अपनी जेब से खर्च कर परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं।
रोशनी से जगमगाएगी शहर की सड़के
फिर भी उत्साह कम नहीं हुआ है। 6 सितंबर की रात शहर की गलियां रोशनी से नहाएंगी। रंग-बिरंगे बल्ब और लाइटें पूरी रात अंधेरे को चीरकर माहौल को रौशन करेंगी। इस बार करीब 25 झांकियां और 10 अखाड़े निकलेंगे। झांकियां धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संदेश देती नजर आएंगी। स्वच्छता अभियान, पर्यावरण संरक्षण और देशभक्ति जैसे विषयों को झांकियों के माध्यम से जीवंत किया जाएगा।
झांकियों में विशेष आकर्षण
इस बार चिंतामण गणपति मंदिर समिति की 111 फीट लंबी झांकी लोगों का ध्यान खींचेगी। काशी के कोतवाल काल भैरव पर आधारित यह झांकी पिछले दो माह से तैयार की जा रही थी। समिति के कलाकारों ने इसे भव्य रूप दिया है। इसके अलावा वंदे मातरम् मित्र मंडल ने ऋषि मार्कण्डेय पर आधारित झांकी बनाई है, जिसमें जीवन और मृत्यु, धर्म और कर्म का महत्व दिखाया जाएगा। वहीं विजयश्री स्पोर्ट्स क्लब की झांकी ग्रामीणों के लिए हमेशा से खास रही है, इस बार इसे वेल्लूर महालक्ष्मी मंदिर के स्वरूप में सजाया गया है।
अखाड़ों का जबरदस्त प्रदर्शन
झांकियों के साथ अखाड़ों की परंपरा धार की खास पहचान है। बजरंग दल झिरनिया, खेड़ापति अखाड़ा, नरसिंह दल, श्रीराम दल, वीर दल और अर्जुन दल जैसे प्रमुख अखाड़ों के पहलवान तलवारबाजी, लाठी, मल्लयुद्ध और अग्निक्रीड़ा जैसे करतब दिखाएंगे। यह प्रदर्शन रातभर दर्शकों को रोमांचित करेगा।
परंपरा का गौरवशाली इतिहास
धार की पहली सार्वजनिक झांकी 1937 में ब्रह्माकुंडी गणेशोत्सव सेवा समिति द्वारा निकाली गई थी। अमरसिंह नायक परिवार ने इसे शुरू किया था और आज भी उनकी चौथी-पांचवीं पीढ़ी इस परंपरा को निभा रही है। उस समय बैलगाड़ी पर लालटेन लगाकर झांकियां निकाली जाती थीं। आज वही परंपरा बिजली की जगमगाती लाइटों और आधुनिक सजावट के साथ जारी है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
उत्सव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था भी चाक-चौबंद रहेगी। 500 से ज्यादा पुलिस जवान तैनात किए जाएंगे। शहर को अलग-अलग सेक्टर में बांटा गया है। ड्रोन और सीसीटीवी से निगरानी होगी। पुलिस अधिकारियों की टीमें पैदल गश्त और बाइक पेट्रोलिंग करेंगी। डीजे बजाने पर पूरी तरह से रोक रहेगी ताकि धार्मिक माहौल में किसी तरह का विवाद न हो।