अभी भी तरस रहे हैं धार के तालाब: सूखे की मार से चिंतित किसान, रबी पर मंडरा रहा खतरा


धार जिले में मानसून की बेरुखी से सूखे जैसे हालात। तालाब और नदी-नाले सूखे, किसान चिंतित। रबी फसलों पर भी संकट मंडरा रहा है।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

मध्य प्रदेश के धार जिले में इस साल मानसून की बेरुखी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। जून और जुलाई जैसे मुख्य वर्षा महीनों के बीत जाने के बावजूद न तो नदी-नालों में उफान आया, न ही तालाबों में पानी का स्तर सामान्य हो पाया है। अब अगस्त का पहला सप्ताह भी सूखा गुजर रहा है, जिससे किसान और ग्रामीण बेहद चिंतित हैं। अगर जल्द ही अच्छी बारिश नहीं हुई, तो खरीफ फसलों के साथ-साथ रबी सीजन भी संकट में पड़ सकता है।

 

दो महीने बीते, पानी नहीं बरसा

मानसून के आगमन के बाद जून में कुछ दिनों तक हल्की बारिश जरूर हुई, लेकिन जुलाई लगभग शुष्क ही बीता। जिले में औसत बारिश इस बार पिछले साल के मुकाबले करीब 3 इंच कम दर्ज की गई है। पिछले साल जहां 17 इंच (लगभग 440 मिमी) बारिश दर्ज हुई थी, वहीं इस साल यह मात्रा 13 इंच (363 मिमी) के आसपास ही सिमट गई है। नतीजा यह है कि खेतों में नमी तेजी से खत्म हो रही है और फसलों पर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।

 

तालाबों का हाल बेहाल

धार जिले में जल संसाधन विभाग के अधीन 180 से अधिक तालाब हैं, जिनमें से 150 से ज्यादा लगभग सूखे पड़े हैं। जिले के विभिन्न गांवों में लगभग 1,000 से अधिक ताल-तलैया हैं, जिनमें से अधिकांश में 30 से 40 प्रतिशत से ज्यादा पानी नहीं भर पाया है।

 

जल संसाधन विभाग के अधीक्षण यंत्री एमएस चौहान का कहना है कि फिलहाल एक-दो दिन की तेज बारिश हो जाए, तो सभी तालाब भर सकते हैं। लेकिन अगर अगस्त में भी अच्छी बारिश नहीं होती, तो सिंचाई से लेकर पीने के पानी तक का संकट गहराना तय है।

 

अमृत सरोवर भी रह गए अधूरे

सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना “अमृत सरोवर” के अंतर्गत बनाए गए 120 से अधिक तालाबों में से अधिकांश में भी पूरा पानी नहीं भर पाया है। विभागीय रिपोर्ट के अनुसार 70 से 80 तालाब पूरी क्षमता से खाली या आंशिक रूप से भरे हुए हैं। कई जगह अतिक्रमण की वजह से पानी की आवक भी प्रभावित हुई है, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी और चिंता दोनों है।

शहरी क्षेत्र को मिली थोड़ी राहत

धार नगर के कुछ हिस्सों में जुलाई के आखिर में एक रात में चार इंच से ज्यादा बारिश हुई, जिससे देवीजी, मुंज सागर, दिलावरा और नटनागरा तालाबों में लगभग 50 प्रतिशत जलभराव हो चुका है। लेकिन ये राहत स्थायी नहीं मानी जा सकती, क्योंकि मानसून की स्थिरता अभी भी नहीं दिख रही।

 

कृषि वैज्ञानिकों की चेतावनी

कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस चौहान के अनुसार, “फसलें इस समय फ्लावरिंग की स्टेज पर हैं। अगर अगले एक सप्ताह में बारिश नहीं होती है, तो फसलों की वृद्धि रुक जाएगी और उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा।”

 

अब उम्मीद ‘भादो’ से

स्थानीय लोगों और किसानों को अब भाद्रपद (भादो) मास से उम्मीद है, जो 10 अगस्त से शुरू हो रहा है। यदि इस दौरान बारिश सामान्य से ऊपर होती है, तो फसलें और जलस्रोत दोनों बच सकते हैं। वरना इस बार की रबी फसल पर संकट तय है।



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